मो0 कुमेल
डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने झामुमो रिश्वत मामले में अपने साल 1998 के बहुमत के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि संसद और विधानसभाओं के सदस्यों को मतदान के लिए रिश्वत लेने या सदन में एक निश्चित तरीके से बोलने के लिए अभियोजन से छूट दी गई थी।
लाइव लॉ के अनुसार, सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली की सात न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि पिछले फैसले का सार्वजनिक हित, सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और संसदीय लोकतंत्र पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। अगर इस पर पुनर्विचार नहीं किया गया तो इस अदालत द्वारा त्रुटि को बरकरार रखने की अनुमति देने का गंभीर खतरा है।
जिसने अक्टूबर 2023 में मामले की सुनवाई शुरू की थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत रिश्वत का अपराध रिश्वत लेते ही ‘पूर्ण’ हो जाता है और यह इस बात पर निर्भर नहीं हो सकता है कि इसे पाने वाले ने वादा पूरा किया है या नहीं।
माही अंसारी वाराणसी: वाराणसी के सारनाथ थाना अंतर्गत पहाड़िया स्थित एक बहुमंजिला भवन में चल…
ए0 जावेद वाराणसी: राजातालाब थानाध्यक्ष अजीत कुमार वर्मा की शनिवार शाम एक सड़क हादसे के…
तारिक आज़मी वाराणसी: संभल आज साम्प्रदायिकता की आग में जल उठा। सदियों पुरानी सम्भल की…
शहनवाज अहमद गाजीपुर: गहमर थाना क्षेत्र के वारा गांव के पास गंगा नदी में आज…
आदिल अहमद डेस्क: बाबा सिद्दीक़ी के बेटे ज़ीशान सिद्दीक़ी मुंबई की बांद्रा पूर्व सीट से…
तारिक खान डेस्क: संभल ज़िले में रविवार की सुबह जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हुई…