ए0 जावेद
वाराणसी: कहावत सुनी थी कि ईसा पीर न मुसा पीर सबसे बड़ा है पैसा पीर। अगर पैसा आपके पास हो और उसको खर्च करने की क्षमता है तो फिर आप जितना चाहे अवैध काम कर ले, कोई पलट कर पूछने नहीं आ जायेगा। इसका बड़ा उदहारण वाराणसी आबकारी विभाग है। जो अभी तक तो भाग की दुकानों पर बिकते गांजे और देर रात तथा अहल-ए-सुबह बिकती दारु पर अपनी निगाहें करम करके बंद रखता है।
मगर साहब अब तो आबकारी विभाग ने पूरी हद ही खत्म कर रखा है। आँखों पर ऐसी पट्टी बंधी है कि उसको खुल्लम खुल्ला बिना लाइसेंस के चलता रियो बार नही दिखाई दे रहा है। अगर सपाट शब्दों में कहे तो ईसा पीर न मुसा पीर के तर्ज पर सौ की सीधे एक बात है कि बिना लाइसेंस के ही रियो बार खुल्लम खुल्ला दारु बेच रहा है। रियो की मालकिन खुद में अपने आप को बाहुबली समझती है तो उनके इस समझ को भी समझा जा सकता है।
अब आप समझ् सकते है कि हम आखिर क्यों कह रहे है कि ईसा पीर न मुसा पीर सबसे बड़ा है पैसा पीर। रियो की दारुबाज़ी इसको साबित कर रही है। पुलिस के मत्थे ज़िम्मेदारी सौपने वाले आबकारी विभाग की बंद आँखों से पड़ता निगाह-ए-करम आखिर कब तक इन लोगो को शरण देता रहेगा? शायद निगाहे करम ऐसे तो पड़ी नही होगी, प्रसाद में हिस्सा किसका किसका है ये तो रियो की मालकिन साहिबा जाने अथवा भगवान जाने।
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