शाहीन बनारसी
डेस्क: केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) द्वारा एक सूचना के अधिकार (आरटीआई) याचिका का जवाब न देने पर ‘कड़ी आपत्ति’ जताई है। सीआईसी ने इसे कानून का ‘घोर उल्लंघन’ करार देते हुए चुनाव आयोग को लिखित स्पष्टीकरण देने का भी निर्देश दिया है।
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस आरटीआई में आयोग से चुनाव के दौरान ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की विश्वसनीयता पर प्रतिष्ठित लोगों की ओर से उठाए गए सवालों के प्रतिनिधित्व के लिए उठाए कदमों पर जवाब मांगा गया था। मालूम हो कि 22 नवंबर, 2022 को दायर आरटीआई आवेदन के माध्यम से देवसहायम ने जानकारी मांगी कि उनकी आरटीआई पर क्या किसी उत्तरदायी व्यक्ति की इस पर बैठक हुई या यह फाइल किसे फॉरवर्ड किया गया था।
चुनाव आयोग ने अनिवार्य 30-दिन की अवधि के भीतर उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष देवसहायम की पहली अपील भी नहीं सुनी गई। उन्होंने आयोग से प्रतिक्रिया की कमी का हवाला देते हुए दूसरी अपील में सीआईसी से संपर्क किया। जब मुख्य सूचना आयुक्त हीरालाल सामरिया ने पूछताछ की, तो चुनाव आयोग के केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी इस बात पर संतोषजनक जवाब देने में विफल रहे कि देवसहायम को कोई जवाब क्यों नहीं दिया गया।
सीआईसी सामरिया ने कहा, ‘आयोग, आरटीआई अधिनियम के तहत निर्धारित समयसीमा के भीतर आरटीआई आवेदन का कोई जवाब नहीं देने पर तत्कालीन पब्लिक इंफॉर्मेशन ऑफिसर (पीआईओ) के आचरण पर गंभीर नाराजगी व्यक्त करता है। इसलिए, यह आयोग निर्देश देता है कि पीआईओ को वर्तमान पीआईओ के माध्यम से आरटीआई के प्रावधानों के घोर उल्लंघन के लिए एक लिखित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करना होगा।’
बताते चले कि पूर्व आईएएस अधिकारी एमजी देवसहायम उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने ईवीएम, वीवीपीएटी और मतगणना प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल करते हुए आरटीआई के तहत चुनाव आयोग में एक आवेदन दायर किया था और आयोग द्वारा इस की गई कार्रवाई का ब्योरा मांग रहे थे। यह अभ्यावेदन 2 मई, 2022 को चुनाव आयोग को भेजा गया था।
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