अनुराग पाण्डेय
डेस्क: मशहूर अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता ज्यां द्रेज़ का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था का वर्तमान स्वरूप आने वाले पांच साल में देश को अधिक बुरी हालत में डालने वाला है। उन्होंने कहा कि इससे सामाजिक असमानता बड़े स्तर पर बढ़ेगी। इससे देश का आम नागरिक परेशान होगा। क्योंकि, भारत की मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में पिछले 10 साल में लोगों की वास्तविक मज़दूरी में कोई वृद्धि नहीं हुई है।
ज्यां द्रेज ने कहा, ‘यह कहा जाना गलत है भारत में साल 2014 से पहले कुछ हुआ ही नहीं। देश के लोगों की प्रति व्यक्ति आय (कांस्टेंट प्राइस) 1951 में सिर्फ़ 100 थी, जो साल 2011 में 511 हो गई। लाइफ एक्सपेक्टेंसी 1951 में सिर्फ़ 32 साल थी, जो साल 2011 तक 66 साल हो चुकी थी। इसी अवधि में महिलाओं की साक्षरता दर नौ फ़ीसदी से बढ़कर 65 और पुरूषों की 27 से बढ़कर 82 फ़ीसदी हो गई। नवजात शिशुओं के मृत्यु दर पर ज़बरदस्त तरीक़े से काबू पाया गया। 1951 में जहां प्रति 1000 नवजात बच्चों में से 180 की मौत हो जाती थी, वह संख्या साल 2011 में घटकर 44 पर आ गई। यह मोदी सरकार के पहले की उपलब्धियां हैं।’
ज्यां द्रेज ने कहा, ‘यूपीए सरकार में ग्रॉस नेशनल इनकम (कांस्टेंट प्राइस) 6.8 फ़ीसदी था, जो बीजेपी की मौजूदा सरकार में घटकर 5.5 पर आ गया। रियल कंजप्शन 5 से घटकर 3 पर आया। कृषि मज़दूरों की वार्षिक वृद्धि दर साल 2004-05 और 2014-15 के बीच 6.8 प्रतिशत थी। वह साल 2014-15 से 2021-22 के दौरान घटकर माइनस 1.3 प्रतिशत हो गई।’ ज्यां द्रेज और रितिका खेड़ा ने कहा कि भारत सरकार ने साल 2021 में जनगणना ही नहीं कराई। आज़ादी के बाद ऐसा पहली दफ़ा हुआ, जब जनगणना ही नहीं हुई। इस कारण अकेले झारखंड में 44 लाख योग्य लोग जन वितरण प्रणाली की सुविधाओं से वंचित हैं। पूरे देश में ऐसे वंचित लोगों की संख्या 100 मिलियन से भी अधिक है।
अर्थशास्त्री रितिका खेड़ा ने कहा, ‘मोदी सरकार में कई पुरानी योजनाओं के नाम बदल दिए गए। इन्होंने न केवल यूपीए सरकार के समय से चल रही योजनाओं के नाम बदले, बल्कि अपनी सरकार की योजनाओं की भी री-ब्रैंडिंग की। मसलन, आयुष्मान योजना के तहत चलने वाले वेलनेस सेंटर का नाम अब आयुष्मान आरोग्य मंदिर कर दिया गया। केरल सरकार ने मलयाली भाषा भाषियों के लिए इसका पुराना नाम ही रखने की अपील की, तो सरकार इसपर सहमत नहीं हुई। इससे केरल के लोगों को इसका लाभ ही नहीं मिल पा रहा है।’
रितिका खेड़ा ने कहा, ‘भारत सरकार में शामिल नेता गर्व से कहते हैं कि जीडीपी के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर आ गया है। लेकिन, प्रति व्यक्ति आय के नज़रिये से भारत का रैंक दुनिया के 170 देशों में 120 वें नंबर पर है। यह कैसी ग्रोथ है। इस पर सवाल तो उठने ही चाहिए।’
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