ईदुल अमीन
वाराणसी: अल्लामा इकबाल का मशहूर कलाम है ‘एक ही सफ में खड़े हो गये अमीर-ओ-अयाज़, न कोई बन्दा रहा और न कोई बन्दानवाज़।’ ऐसे ही कुछ हालात इफ्तार के ‘दस्तरख्वान’ पर दिखाई देता है जब एक ही ‘दस्तरख्वान’ पर ‘अमीर-ओ-अयाज़’ रहते है। मगर सभी महज़ रोज़ेदार ही रहते है। न कोई ओहदा और न कोई रुतबा या रुआब।
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