तारिक़ आज़मी
डेस्क: पश्चिमी अफ्रीका के युवाओं को तबाही के कगार पर लेकर एक नशा पहुच चूका है। जिसका नाम है ‘जॉम्बी ड्रग’। इंसानी हड्डियों से बने इस नशे के ज़द में आये युवा पीढ़ी की हालत एकदम भूतो जैसी हो जाती है। इस नशे में बर्बाद होती युवा पीढ़ी को बचाने के लिए पश्चिमी अफ्रीका की सरकार ने हर एक कब्रस्तान पर पुलिस का सख्त पहरा बैठा दिया है ताकि वहाँ से कोई इंसानी हड्डियों को न चूका सके।
‘जॉम्बी ड्रग’ ड्रग के बारे में मीडिया रिपोर्ट्स में छपी रीसर्च और एक्सपर्ट्स की राय पढ़े तो उनका कहना है कि ये नशा सस्ता मगर बेहद खतरनाक है। इस नशे से नौजवानों की सोचने समझने की शक्ति बिलकुल खत्म हो जाती है। ये उनका शरीर पूरी तरह अपंग बना देता है। और सबसे खास बात ये है कि इस ड्रग को लेने वालों की हालत बिलकुल फिल्मों में दिखने वाले जॉम्बी यानी भूतों जैसी खौफनाक हो जाती है। इंसानी हड्डियों का चूरा इसमें मौजूद सल्फर की वजह से नशे को कई गुना बढ़ा देता है। बस इसीलिये ये नशा ‘जॉम्बी ड्रग’ के नाम से अफ्रिका ही नहीं अमेरिका तक मशहूर हो रहा है।
जानकारों के मुताबिक कुश का असर शरीर के जरूरी अंगों जैसे दिल, दिमाग, लीवर, किडनी और फेफड़ों पर सीधे पड़ता है जिसकी वजह से नशा करने वाले की कभी भी मौत हो सकती है। सच तो ये है कि अफ्रीका के इस देश में कुश का नशा करने वाले सैकड़ों नौजवानों की पहले ही मौत हो चुकी है और पिछले तीन साल में यहां के अस्पतालों में इस नशे से बीमार होकर भर्ती होने वाले नौजवानों की तादाद 4000 फीसदी बढ़ी है।
यही वजह है कि सरकार ने अब इस ड्रग के खतरे को देखते हुए इमरजेंसी का ऐलान कर दिया है और इंसानी हड्डियों की चोरी रोकने के लिये कब्रिस्तानों के बाहर पुलिस का पहरा बैठा दिया है। अब एक बड़ा सवाल है कि जब इतना खतरनाक नशा है तो फिर आखिर क्यों अफ्रीका के नौजवान इस नशे के आगे घुटने टेक रहे हैं? आखिर ऐसा क्या है इस नशे में जो ये नौजवान अपनी सुध बुध खोकर अपने ही पुरखों की ह्ड्डियां नशे के लिये फूंक रहे हैं? तो वजह है अफ्रीका के इस हिस्से में फैली जबरदस्त गरीबी।
सिएरा लिओन दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है। बेरोजगारी और गरीबी से परेशान यहां के नौजवान इस नशे को अपनी जिंदगी की कड़वी सच्चाई से भागने का जरिया बना बैठे हैं। फिर कुश का नशा बेहद सस्ता है। महज 800 रुपये का नशा उनको दिन भर पस्त रखने के लिये काफी है। हालांकि गरीबी के चलते इस देश की औसतन सालाना आमदनी भी महज 42 हजार रुपये ही है।
इसलिये सस्ता होने के बावजूद जिस्मानी और माली तौर पर कुश का नशा इस नस्ल को बरबाद करने के लिये काफी है। इसी वजह से सिएरा लिओन की सरकार ने ड्रग्स के इस्तेमाल से नौजवानों के बचाव और नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने के लिये अब एक नेशनल टास्क फोर्स बनाई है। मगर ‘जॉम्बी ड्रग’ के नशे पर पूरी तरह नियंत्रण सरकार नही कर पा रही है। इसके नशेडी युवाओं की संख्या लगातार बढती ही जा रही है।
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