अबरार अहमद
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को सीआरपीसी की धारा 167 (2) के तहत भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा और जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश के 11 कथित सदस्यों को ‘डिफ़ॉल्ट जमानत’ दे दी, जबकि मामले में आरोपियों के खिलाफ जांच पूरी करने के लिए समय बढ़ाने के विशेष अदालत के आदेशों को ‘अवैध’ करार दिया, क्योंकि उनकी अनुपस्थिति में ऐसा पारित किया गया था।
इन सभी पर यूएपीए की धारा 121ए, 123 आईपीसी और धारा 13, 18, 18बी, 20 और 38 के तहत लोगों की भर्ती करने और लोगों के बीच राष्ट्र-विरोधी, जेहादी और आतंकवादी मानसिकता फैलाने के आरोप लगाए गए थे, ताकि राष्ट्र की एकता, संप्रभुता और अखंडता को खतरा हो और लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर किया जा सके।
जस्टिस अताउ रहमान मसूदी और जस्टिस मनीष कुमार निगम की खंडपीठ ने जांच पूरी करने के लिए समय बढ़ाने के आवेदन पर विचार करते हुए आरोपी व्यक्तियों को सुनने के लिए स्पेशल कोर्ट के कर्तव्य पर जोर देते हुए कहा कि इस खामी ने विशेष अदालत द्वारा पारित आदेश को अवैध बना दिया है।
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