तारिक़ आज़मी
वाराणसी: वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के चेतगंज थाना प्रभारी के द्वारा शायद अपराध कम करने का अनोखा तरीका इस्तेमाल किया जा रहा है। वह तरीका ऐसा है कि अपराध ही न दर्ज करो तो अपराध होगा ही नहीं। इस कमाल के तरीके के कारण कुछ अच्छा हुआ या नही हुआ ये तो नहीं पता। मगर एक अबला नारी और उसकी तीन बेटियाँ दर बदर की ठोकरे खा रही है।
क्या कहते है थाना प्रभारी चेतगंज ?
इस मामले में थाना प्रभारी चेतगंज डॉ आशीष कुमार मिश्रा से हमने जब फोन पर बात किया तो उन्होंने घटना को तो स्वीकार किया। मगर कार्यवाही के बात पर कहा कि ‘यह मामला किरायदारी के विवाद का है, मामले में जांच की जा रही है। जो उचित कार्यवाही होगी वह की जायेगी।’
इस्पेक्टर चेतगंज के बयान में है अधुरा सवाल
इस्पेक्टर चेतगंज के बयान को अगर आधार मान लेते है कि मामला किरायदारी विवाद से सम्बंधित है, तो अपराध तब भी हुआ। किरायदारी का विवाद संपत्ति से सम्बंधित है। जिसमे बेशक पुलिस खुद के पहल पर कुछ नही कर सकती है। मगर बीती देर रात जो हुआ वह तो खुला खुला अपराध है और जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है। किसी के ताले तो तोड़ कर उसका सामान को गायब कर देने का अपराध आईपीसी की किस धारा में आता है ये इस्पेक्टर साहब को भली भांति पता होगा।
रही माल की बरामदगी तो पुलिस ने तो वह कल रात ही कर लिया था। फिर अपराध पंजीकृत न करके क्या इस्पेक्टर साहब अपने क्षेत्र के अपराध का ग्राफ नीचा कर रहे है? अगर ये तरीका अपराध कम करने का है, तो बेशक एकदम नया तरीका है फिर। देखना तो ये होगा कि इन्साफ की गुहार लगाती बुज़ुर्ग महिला शकीला के लिए कोई अधिकारी आगे आता है, या फिर महिलाओं के हितो और उनके सम्मान की बाते सिर्फ प्रेस कांफ्रेंस और भाषणों तक की शोभा बनेगी।
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