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भारत की जानी मानी शख्सियतो ने चुनाव आयोग को पत्र लिख कर चुनावो में पारदर्शिता बढाने की किया इल्तेजा

ईदुल अमीन

डेस्क: लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों में हुई वोटिंग के आंकड़ों में ‘बड़ी अनिश्चितता’ को देखते हुए सिविल सोसायटी के कुछ जानेमाने लोगों ने चुनाव आयोग से अपील की है कि वो मतदान प्रतिशत के आंकड़ों की पुष्टि के लिए फॉर्म 17सी के पार्ट वन के आंकड़े अपनी वेबसाइट पर जारी करे।

इस चिट्ठी पर दस्तख़त करने वाले लोगों में ट्रांसपेरेंसी एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज, एडवोकेट और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण, वृंदा ग्रोवर, पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी, स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव और पूर्व नौकरशाह एमजी देवासहायम, सुंदर बुर्रा, देब मुखर्जी, अशोक शर्मा, अदिति मेहता, अर्थशास्त्री जयती घोष, अनहद की शबनम हाशमी शामिल हैं।

चिट्ठी के मुताबिक, 30 अप्रैल, 2024 को जारी किए गए इलेक्शन कमीशन के प्रेस नोट में वोटर टर्नआउट के आंकड़े देने में की गई असामान्य देरी और मतदान प्रतिशत के आंकड़ों में असाधारण रूप से किए गए बड़े बदलाव (लगभग छह फ़ीसदी का) का कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। इससे वोटर टर्नआउट के आंकड़ों को लेकर लोगों के बीच चिंताएं और संदेह पैदा होता है।

चिट्ठी में मांग की गई है कि ‘हमारा लोकतंत्र मजबूती से चलता रहे, ये सुनिश्चित करने के लिए चुनावी प्रक्रिया में लोगों का भरोसा इसकी बुनियाद है। इसलिए हम भारत के निर्वाचन आयोग से ये अपील करते हैं कि वे इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट पर पहले तीन चरण में हुई वोटिंग को लेकर सभी मतदान केंद्रों के फॉर्म 17सी के पार्ट वन की पठनीय कॉपी स्कैन करके अपलोड की जाए।’

आगे के लिए बचे हुए चरणों के लिए चिट्ठी में कहा गया है कि ‘ये जानकारी वोटिंग ख़त्म होने के 48 घंटे के भीतर इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट पर सार्वजनिक की जानी चाहिए। फॉर्म 17सी के पार्ट वन की स्कैन्ड कॉपी अपलोड करने के अलावा विधानसभा क्षेत्र और मतदान केंद्रों के हिसाब से वोटर टर्न आउट के कुल आंकड़े भी निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर जारी की जानी चाहिए।’

सिविल सोसायटी के इस समूह ने अपनी चिट्ठी में लिखा है, ‘हम उम्मीद करते हैं कि निर्वाचन आयोग इस महत्वपूर्ण मुद्दे का संज्ञान लेगा और जल्द से जल्द ज़रूरी कदम उठाएगा ताकि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और मतदाताओं का भरोसा बढ़ाया जा सके।’

मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों के नाम लिखी गई इस चिट्ठी में कंडक्ट ऑफ़ इलेक्शंस रूल्स के नियम संख्या 49एस का हवाला देते हुए कहा गया है कि प्रीजाइडिंग ऑफ़िसर (पीठासीन अधिकारी) को मतदान ख़त्म होने पर फ़ॉर्म 17सी के पार्ट वन में बूथ पर पड़े कुल वोटों का ब्योरा तैयार करना होता है और इसकी एक प्रमाणित कॉपी हरेक पोलिंग एजेंट को देनी होती है।

चुनाव के पहले चरण के लिए निर्वाचन आयोग ने वोटिंग के दिन यानी 19 अप्रैल को एक प्रेस नोट जारी किया था। इस प्रेस नोट में कहा गया था कि शाम सात बजे तक अनुमानित वोटर टर्न आउट 60 फ़ीसदी से ऊपर रहा है। 11 दिनों बाद 30 अप्रैल को चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत के जो आंकड़े जारी किए, उसमें 66.14 प्रतिशत मतदान का आंकड़ा दिया गया। ये पिछले आंकड़े से छह फ़ीसदी से ज़्यादा था।

ठीक इसी तरह, दूसरे चरण के लिए इलेक्शन कमीशन ने मतदान के दिन यानी 26 अप्रैल को जो आंकड़े जारी किए, उसमें शाम सात बजे तक के लिए ये बताया गया कि 60.96 फ़ीसदी मतदान हुआ है लेकिन 30 अप्रैल को जारी किए गए प्रेस नोट में इसे संशोधित करके मतदान प्रतिशत के आंकड़े को बढ़ाकर 66.71 फ़ीसदी कर दिया गया।

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