तारिक़ आज़मी
वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली संस्था अंजुमन इन्तेज़मियां मसाजिद कमेटी की एक आपातकालीन बैठक संयुक्त सचिव एसएम यासीन के आवास पर हुई। इस बैठक में सर्वसम्मत से चौक पुलिस द्वारा असंवैधानिक तरीके से कमेटी के सदस्य शमशेर अली और उनके भाइयो पर 110जी (गुंडा एक्ट) के कार्यवाही की कड़ी आलोचना हुई और इसको मस्जिद कमेटी के ऊपर एक दबाव नाजाज़ बनाने वाली कार्यवाही बताया गया।
क्या बोले मुफ़्ती-ए-बनारस मौलाना बातिन नोमानी
इस मामले में हमसे बात करते हुवे मौलाना बातिन नोमानी ने कहा कि मुस्लिम समाज को ज्ञानवापी मस्जिद से दूर रखने के लिए उनके अन्दर दहशत पैदा करने के लिए हमारी कमेटी के मेंबर शमशेर अली और उनके भाइयो पर इस तरीके से गैर कानूनी कार्यवाही चौक पुलिस के द्वारा किया गया है। आज आपातकालीन बैठक इसी मसले पर सलाह मश्वरे के लिए बुलाया गया था। इस बैठक में तय पाया गया कि मस्जिद से ताल्लुक रखने वाले किसी भी मुस्लिम समाज को ऐसे डराने की कोशिश अगर होगी तो हम सख्त एतराज करेगे और कानूनी लड़ाई हर तरीके से लड़ेगे। मस्जिद से सम्बंधित सभी लोगो के साथ अंजुमन इन्तेज़मियां मसाजिद कमेटी खडी है और रहेगी।
क्या है मामला ?
दरअसल 30 अप्रैल के शाम शमशेर अली को चौक पुलिस एक नोटिस 110जी (गुंडा एक्ट) के तहत तामील करवाती है। ऐसी ही नोटिस उनके भाई मो0 अली उर्फ़ सोनू और जमशेद अली उर्फ़ पप्पू के नाम से भी तामील हुई। सभी नोटिस 110जी सीआरपीसी की है। नोटिस जारी 20 अप्रैल को हुई थी और आपत्ति दर्ज करवाने की तारिख 30 अप्रैल थी। जिस दिन आपत्ति दर्ज करवाने की आखरी तारिख थी उस दिन शाम को नोटिस शमशेर अली और उनके भाइयो को तामील किया गया।
शमशेर अली का कहना है कि उसके बाद चौक पुलिस ने मेरे बेटे और भाइयो सहित मुझे 107/116 सीआरपीसी में पाबंद कर दिया। मेरी शिकायत तक दर्ज नही किया। इसके अतिरिक्त मेरे ऊपर अथवा मेरे भाइयो पर कोई मामला दर्ज नही है। मेरे एक भाई पर तो वह भी नही है। मगर उसको भी चौक पुलिस ने गुंडा मान कर रिपोर्ट भेज दिया। शमशेर अली का कहना है कि थाने में दलाली करने वाले कतिपय लोगो ने उनको फरवरी में व्हाट्सअप सन्देश पर कहा था कि होशियार रहो, ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में बोलते हो, टारगेट पर हो। आज वह बात सत्य हो गई और लगता है उसी थाने पर पैठ रखने वाले ने पुलिस को गुमराह करके और ज्ञानवापी मस्जिद से मुसलमानों को दूर करने के लिए साजिशन ऐसी असंवैधानिक कार्यवाही किया है। शमशेर अली का दावा है कि उनके पास उस व्यक्ति के भेजे गए व्हाट्सअप मैसेज का स्क्रीन शॉट भी सुरक्षित है।
सवाल एक ये भी बड़ा है
अगर पुरे घटनाक्रम को देखे तो सवाल ये भी एक बड़ा है कि जब 29 मार्च को शमशेर अली ने चौक पुलिस को इस मारपीट में अपने हाथ टूटने के मेडिकल रिपोर्ट के साथ तहरीर दिया था तो आखिर चौक पुलिस ने मामला दर्ज क्यों नही किया?
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