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खून खराबे और गैंगवार के लिए बदनाम तिहाड़ जेल में फिर एक विचाराधीन कैदी की हत्या, आखिर क्यों नही रुक पा रहा तिहाड़ की सलाखों के पीछे यह अपराध

तारिक़ आज़मी

डेस्क: तिहाड़ की सुरक्षा पर एक बार फिर से बड़ा सवाल उठा है। तिहाड़ में कल शुक्रवार को एक कैदी की हत्या हो गई। ये हत्या कैदियों के बीच आपसी झगड़े का नतीजा है। शुक्रवार दोपहर कैदियों के बीच लड़ाई हुई जिसके दौरान कुछ कैदियों ने एक विचाराधीन कैदी की हत्या कर दी। मृतक कैदी का नाम दीपक है और वो डकैती और हत्या के आरोप में तिहाड़ में बंद था। उसके सीने में किसी नुकीले हथियार से वार किया गया।

तिहाड़ को बेशक हाई सिक्योरिटी जेलों में गिना जाता है, लेकिन इसके अंदर होनेवाली गैंगवार की वारदात यहां के सुरक्षा इंतजामों की पोल खोलती है। पिछले 9 सालों में तिहाड़ जेल में गैंगवार की कुल 12 बड़ी वारदात हो चुकी हैं, जिनमें 9 कैदियों की मौत हुई है जबकि इस तरह की गैंगवार में कुछ जेल कर्मियों समेत कुल 47 लोग घायल हुए हैं।

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि जिस तिहाड़ जेल की गिनती देश की सबसे सुरक्षित जेल के तौर पर होती है, आखिर उसी जेल में गैंगस्टर कर एक दूसरे पर हमला कैसे कर डालते हैं? कैसे पलक झपकते वो एक दूसरे की जान ले लेते हैं? आखिर जेल की सुरक्षा व्यवस्था में कहां कमी रह जाती है? क्यों साल दर साल तिहाड़ में गैंगवार का सिलसिला चलता ही रहता है? आइये थोडा गौर करते है और इस सवाल के जवाब को तलाशने की कोशिश करते है।

असल में इसकी मूल जड़ अगर देखेगे तो तिहाड़ में क्षमता से दो गुने से भी ज्यादा कैदियों का बंद होना और जेल में बेलगाम भ्रष्टाचार इसकी सबसे बड़ी वजह समझ में आएगी। 20 फरवरी 2023 के आंकड़ों के मुताबिक इस वक्त तिहाड़ में कुल 13 हजार कैदी बंद हैं जबकि तिहाड़ में कैदियों की कुल क्षमता 5 हजार 200 कैदियों की हैं। यानी जेल में क्षमता से करीब 8 हज़ार ज्यादा कैदी भरे पडे हैं। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लग जाना कोई हैरानी की बात नहीं है।

रही-सही कमी कई जेलकर्मियों की रिश्वतखोरी की आदत पूरी कर देती है। रिश्वत लेकर कैदियों को सुविधाएं देने की जेलकर्मियों की इसी आदत की वजह से  तिहाड़ पहले से ही घूस महल के नाम से बदनाम है। तिहाड़ जेल, जहां पैसे और पहुंच के बल पर तमाम हाईप्रोफाइल कैदी अपने लिए हर वो सुविधा हासिल कर सकते हैं, जो किसी इंसान को बाहर मिलती है फिर चाहे वो मोबाइल फोन हो, नशे का सामान, फाइव स्टार होटल का खाना, शराब, हथियार या फिर कुछ और हो।

सुकेश चंद्रशेखर से लेकर वक्त-वक्त पर तमाम तरह की अवांछित चीज़ों के साथ पकड़े जाते कैदी इस बात का सबूत हैं। जबकि सुरक्षा के लिहाज से तिहाड़ जेल के तमाम हाई सिक्योरिटी वार्डों समेत अलग-अलग इलाकों में 7500 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। अब तिहाड़ जेल प्रशासन 1248 सीसीटीवी कैमरे और लगाए जाने की तैयारी कर रहा है। लेकिन सच्चाई ये है कि गुनहगार कई बार इन कैमरों को भी गच्चा देने में कामयाब हो जाते हैं। कैमरे खराब कर दिए जाते हैं। अब जिस जेल में ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार हो वहां गैंगवार-खून खराबा और कत्ल होना कोई हैरानी की बात नहीं है।

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