तारिक आज़मी
वाराणसी: वाराणसी के नई सड़क निवासी गुमशुदा प्लास्टिक कारोबारी दावर बेग का अंततः शव बरामद हुआ है। उनकी निर्मम हत्या कर दिया गया था। एक बार फिर से वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट की एसीपी दशाश्वमेघ की टीम के कार्यशैली पर बड़ा सवाल इस मामले में उठा है। दावर बेग के शव मिलने की पुष्टि उनके भाई जावेद ने हमसे फोन पर बातचीत में किया है। शव मिलने की जानकारी के बाद आसपास इलाकों में शोक की लहर दौड़ गई है।
परिजनों के आरोपों को आधार माने तो इस सम्बन्ध में जब लक्सा थाने पर उन्होंने गुमशुदगी दर्ज करवाया तब उन्होंने अपना शक साजिद उर्फ़ बबलू हाजी पर ज़ाहिर किया था। मृतक के पुत्र शादाब ने साजिद के आत्महत्या के दिन हमसे फोन पर बातचीत में बताया था कि पुलिस ने मामले में पूछताछ हेतु साजिद उर्फ़ बबलू हाजी को थाना लक्सा बुलाया था। मगर अज्ञात कारणों से देर रात उसको छोड़ दिया। जिसके बाद दुसरे दिन दोपहर में ही साजिद ने भेलूपुर थाना क्षेत्र स्थित एक मस्जिद में नमाज़ के बाद खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर लिया।
दोस्ती ही नही संपत्ति को लेकर थी अदावत भी: सूत्र
एसीपी दशाश्वमेघ और उनकी पुलिस टीम इस मामले में कितनी गंभीर थी, इसका अंदाज़ा साजिद को थाने से पूछताछ मुकम्मल होने के पहले छोड़े जाने से ही ज़ाहिर होता है। सूत्रों की माने तो दावर बेग एक पुराने कारोबारी मानसिकता के व्यक्ति थे। साजिद को ससुराल की संपत्ति में हिस्सा मिला था। अमूमन मुस्लिम संपत्ति बटवारे में बहनों का हिस्सा संपत्ति के पीछे की तरफ होता है और भाइयो का हिस्सा संपत्ति के अगले भाग में होता है। मगर साजिद ने संपत्ति बटवारे में आगे का हिस्सा अपने नाम लिखवा कर बेच दिया था। यह संपत्ति साजिद ने दावर बेग को बेचा था।
संपत्ति के इस प्रकार से हुवे बटवारे को साजिद के साले ने धोखा बताया था और साजिद के साले अच्छे से उसकी इसको लेकर मनमुटाव भी जानकारी में सूत्रों के हवाले से आता है। यह संपत्ति जब साजिद ने बेचा था सूत्र बताते है की उस समय वह आर्थिक रूप से परेशान था। मगर अब जब साजिद की आर्थिक स्थिति सही हो चुकी है तो वह इस संपत्ति को उसी मूल्य पर दावर बेग से मांग रहा था जिस मूल्य पर उसने बेचा था। दूसरी तरफ मृतक व्यापारी दावर बेग अपनी चीज़े और संपत्ति न बेचने का वसूल रखते थे। ऐसा उनको जानने वाले कहते है।
50 लाख का दाना और पैसा के बीच उलझो पुलिस
मृतक के परिजनों की माने तो दावर बेग की गुमशुदगी के दिन साजिद ने उनको फोन करके कहा था कि 2 करोड़ का दावा (प्लास्टिक का कच्चा माल) है जो केवल 50 लाख में मिल जायेगा। जिस पर दावर बेग ने इतनी रकम नही होने की बात कहा था। मगर बाबु उर्फ़ साजिद ने माल देख लेने की जिद्द किया जिसके बाद वह अपनी बाइक से पड़ाव चले गए और फिर कभी वापस नही आये। इसमें सबसे बड़ी बात जिसकी परिजन बात बार बात कर रहे थे कि दावर बेग कभी भी कैश अपने पास नही रखते थे और न ही घर में रखते थे। ऐसे में परिजनों का कहना है की वह नगद राशि तो लेकर नही जा सकते है।
परिजनों ने बहुत किया भाग दौड़
मृतक दावर बेग के बेटे शादाब ने हमसे बताया कि गुमशुदगी दर्ज होने के बाद पुलिस ने पापा का मोबाइल लोकेशन सिर्फ बता दिया था। जिसके बाद हम लोंगो ने दौड़ दौड़ कर हर जगह कैमरा चेक करवाया। कई बार स्टेशन तक गये। मगर कभी उनकी बाइक नही मिली, मगर लगभग 4-5 दिन पहले उनकी बाइक हम लोंगो को स्टैंड में मिली। इस सम्बन्ध में दावर बेग के परिजनों ने पत्रकार वार्ता कर पुलिस प्रशासन पर सहयोग न करने का गंभीर आरोप लगाया था। मगर इसके बाद भी एसीपी दशाश्वमेघ की टीम कितना चेती यह तो वह ही बता सकती है। थक हार कर सुचना देने वालो को परिजनों ने 50 हज़ार इनाम देने तक की घोषणा सोशल मीडिया पर कर दिया था।
एसीपी दशाश्वमेघ साहिबा साजिद से पूछताछ गंभीरता से हुई होती तो कई सवालो के जवाब मिल जाते
पुलिस सूत्रों की माने तो साजिद की सीडीआर और दावर बेग की सीडीआर काफी मैच कर रही थी। परिजनों को शक भी साजिद के ऊपर था। लक्सा थानाध्यक्ष ने भी पूछताछ हेतु बुलाया था। मगर पूछताछ कितनी गंभीरता से हुई यह तो इसी बात से समझा जा सकता है कि रात को ही साजिद को छोड़ दिया गया। परिजनों का कहना है कि साजिद ने दुसरे दिन शाम 4 बजे तक दावर बेग का पता बताने का वायदा किया था। वही पुलिस सूत्र भी पूछताछ में इस प्रकार की बाते होने की पुष्टि कर रहे है। तो सवाल ये है कि किया एसीपी दशाश्वमेघ और थानाध्यक्ष लक्सा को ज़रा भी शंका बलवती नही हुई?
यही नही पुलिस सूत्रों के अनुसार पुलिस को सीडीआर में इस बात की पुष्टि भी हुई थी कि दावर बेग और साजिद के मोबाइल लोकेशन 7 मई (जिस दिन दावर बेग लापता हुवे) एक ही थी। इन तमाम साक्ष्यो के बावजूद भी पुलिस ने साजिद को कैसे वक्त दे दिया कि कल शाम तक दावर बेग की जानकारी प्रदान करो, यह एक बड़ा सवाल है। साजिद ने खुद को 9 मई के दोपहर गोली मार कर आत्महत्या कर लिया था। सबसे बड़ा सवाल ये ही खड़ा होता है कि अगर साजिद को दावर बेग की जानकारी उस वक्त नही थी तो दुसरे दिन शाम 4 बजे दावर बेग की जानकारी किस माध्यम से दे देने का वायदा कर रहा था? क्या लक्सा थानाध्यक्ष ने मामले की जानकारी एसीपी को नही दिया था?
बहरहाल, दावर बेग की हत्या निर्मम तारीके से की गई है। पुलिस की कार्यशैली पूरी तरफ सवालो से घिरी है। दूसरी तरफ पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आज दावर बेग की लाश बरामदगी भी क्राइम ब्रांच की सफलता का हिस्सा है। दावर बेग की गृहस्ती कच्ची है। बच्चे अभी पूरी तरह से मेच्योर्ड नही हुवे है। भाइयो के लिए एक बड़ा सहारा दावर बेग थे। इस हत्याकांड से सम्बन्धित विस्तृत समाचार प्रतीक्षारत है।
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