तारिक़ खान
डेस्क: कर्नाटक में अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री बी नागेंद्र ने सिद्धारमैया मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया है। बी नागेंद्र ने महर्षि वाल्मीकि शेड्यूल ट्राइब डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन के फंड्स को अवैध तरीके से कुछ निजी खातों में ट्रांसफ़र करने के मामले में नाम आने के बाद अपना इस्तीफ़ा दिया है।
86.62 करोड़ रुपये की ये रकम 189 करोड़ रुपये की उस राशि का हिस्सा थी जिसे 31 मार्च को ख़त्म होने वाले वित्तीय वर्ष के अंत में राज्य सरकार द्वारा विभिन्न कॉर्पोरेशंस और सरकारी निकायों के खातों में सामान्य रूप से ट्रांसफर किया जाता है। इसके बाद ये रकम कॉर्पोरेशन द्वारा विभिन्न गतिविधियों के लिए जारी कर दी जाती है। इस मामले से जुड़े एक सरकारी आदेश में ये कहा गया कि ‘पांच मार्च, 2024 से 23 मई, 2024 के बीच कुछ अज्ञात लोगों ने उक्त बैंक खाते से पैसे निकाले लेकिन अधिकारी ने इसका संज्ञान नहीं लिया और इसलिए वे अज्ञात खातों में पैसे के ट्रांसफर किए जाने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार थे।’
हालांकि अधिकारी को 86.62 करोड़ रुपये की रकम दस्तावेज़ों के साथ हेराफेरी करके 14 अज्ञात खातों में ट्रांसफर किए जाने की जानकारी 22 मई को मिली लेकिन उन्होंने सरकार के संज्ञान में ये बात तब तक नहीं लाई जब तक कि 27 मई को इस बारे में रिपोर्ट नहीं मांगी गई। पुलिस के समक्ष कॉर्पोरेशन के चीफ़ मैनेजर की शिकायत के बाद राज्य सरकार ने सीआईडी की एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया है। चीफ़ मैनेजर ने पुलिस के समक्ष दायर की गई अपनी शिकायत में कॉर्पोरेशन के आधिकारिक खाते से 94.7 करोड़ रुपये गबन की रिपोर्ट दर्ज कराई है।
शिकायत में कहा गया है कि बैंक ने उक्त ट्रांसफर के बारे में कभी भी कोई जानकारी नहीं दी। कॉर्पोरेशन ने ये भी पाया कि उसके अधिकारियों के दस्तखत फर्जी तरीके से किए गए। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को इस्तीफ़ा सौंपने के लिए जाने से पहले बी नागेंद्र ने पत्रकारों से कहा, “मैं इसलिए इस्तीफ़ा दे रहा हूं क्योंकि मेरी वजह से इसकी जांच में कोई बाधा न पहुंचे।” जब पत्रकारों ने बी नागेंद्र से ये पूछा कि एकाउंट ऑफ़िसर चंद्रशेखरन ने अपनी खुदकुशी की चिट्ठी में मंत्री का नाम लिया है तो उन्होंने कहा, “कौन मंत्री?”
बी नागेंद्र का कहना है कि ये सब कुछ उनकी जानकारी के बगैर हुआ है। राज्य सरकार द्वारा जांच के आदेश दिए जाने के फौरन बाद बैंक ने अपने छह अधिकारियों के ख़िलाफ़ केंद्रीय जांच ब्यूरो में एफ़आईआर दर्ज कराई है। एफ़आईआर में कहा गया है कि पैसे का गबन उस वक़्त किया गया जब कॉर्पोरेशन ने अपना एकाउंट वसंतनगर ब्रांच से एमजी रोड ब्रांच में ट्रांसफर कराया। तीन जून को सीबीआई की दी गई शिकायत में बैंक ने ब्रांच मैनेजर को नामजद किया है। ब्रांच मैनेजर पर ये आरोप है कि उन्होंने ईमेल आईडी और अन्य ब्योरों का सत्यापन किए बगैर एकाउंट ट्रांसफर किए जाने के आवेदन को मंज़ूर कर लिया। जिन कंपनियों को पैसे ट्रांसफर किए गए हैं, उनमें से एक आईटी कंपनी ने बयान जारी कर कहा है कि जिस बैंक खाते का जिक्र किया जा रहा है, वो उनका नहीं है।
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