Bihar

वीडियो देख हो जायेगे शर्मसार, नौकरी के नाम करते थे बलात्कार और झोक देते थे जिस्म फरोशी के कारोबार में, बिहार की मुजफ्फरपुर पुलिस ने किया खुलासा, 200 से अधिक पीडिताये हुई इन ज़लीलो का शिकार

अनिल कुमार

डेस्क: फेसबुक हो या इंस्टाग्राम या फिर कोई और सोशल मीडिया प्लेटफार्म इन दिनों इन सारी जगहों पर नौकरी देने के नाम पर खुलेआम ऐसा धंधा चल रहा है जिसमें जरूरतमंद लोग आसानी से शिकार बन जाए। मगर इस नौकरी देने के नाम पर लोगो का शोषण कितना होता है, इसका खुलासा गाहे बगाहे हो जाता है। ऐसा ही एक सिंडिकेट पकड़ा बिहार पुलिस ने जो नौकरी के नाम पर लडकियों का बलात्कार करता था। नौकरी के नाम पर बने इस अय्याशी के अड्डे का खुलासा बिहार पुलिस ने पिछले दिनों किया तो लोगो के होश फाख्ता हो गए।

बिहार के मुजफ्फरपुर से नौकरी देने के बेरोजगारो की इस जरूरत की आड़ में कुछ लोगों ने उसे न सिर्फ अपनी कमाई का जरिया बना लिया बल्कि वहां हैवानों की ऐसी फौज इकट्ठा हुई जिसने काम की तलाश में आई लड़कियों और महिलाओं को अपनी हवस का शिकार बना लिया। और इनकी गिनती एक दो में नहीं बल्कि सैकड़ों में निकली। इस सनसनीखेज किस्से के उजागर होते ही बिहार के मुजफ्फरपुर के बालिका गृह कांड को भी बौना साबित कर दिया। और इस खुलासे ने सिर्फ बिहार को ही नहीं बल्कि पूरे हिन्दुस्तान को झकझोर कर रख दिया।

ये मामला मुजफ्फरपुरके अहियापुर इलाका का है। आरोप है कि यहां करीब 200 लड़कियों को नौकरी देने का झांसा देकर पहले बंधक बनाकर उनके साथ मारपीट की गई और फिर उनका यौन शोषण भी किया गया। असल में ये किस्सा तब नजर में आया जब छपरा की एक पीड़ित महिला ने अहियापुर थाने में जाकर अपनी आप बीती सुनाई। उस महिला ने बताया कि फेसबुक पर महिलाओं के लिए जॉब ऑफर की एक पोस्ट को देखने के बाद उसने DVR नाम की संस्था से संपर्क किया। अप्लाई करने पर चयन होने के बाद प्रशिक्षण के नाम बीस हजार रुपये की मांग की गई। उसने बताया कि पैसा जमा करने के बाद बहुत सारी लड़कियों के साथ अहियापुर थाना क्षेत्र में ही बखरी के निकट रखा गया।

करीब 3 महीना तक गुजर जाने के बाद जब सैलरी नहीं मिली, तो उसने संस्था के सीएमडी तिलक सिंह से संपर्क किया और उनके सामने अपनी बात रखी। उसे बताया गया कि अभी 50 और लड़कियों को संस्था से जोड़ने पर उसकी सैलरी 50 हजार कर दी जाएगी। पीड़ित ने जब 50 और लोगों को जोड़ने में अपनी असमर्थता जाहिर की तो उस पर दबाव बनाया गया और मोबाइल के कांटेक्ट लिस्ट के हिसाब से लोगों को जोड़ने की नसीहत दी गई। यहां तक तो सब ठीक रहा लेकिन असली खेल उसके बाद शुरू हआ। क्योंकि तब तक वो पीड़ित इस संस्था की असलियत से वाकिफ नहीं थी। पैसों के लालच में उसने अपने मोबाइल के कॉन्टेक्ट लिस्ट के हिसाब से लोगों को कंपनी से जोड़ना शुरू किया।

इसी बीच अहियापुर में मौजूद संस्था के दफ्तर और हॉस्टल पर पुलिस की जब छापेमारी हुई तो एक ही झटके में कई राज सामने आ गए। क्योंकि हॉस्टल और दफ्तर से बहुत सी लड़कियों को पुलिस ने छुड़ाया जिन्हें बंधक बनाकर वहां जबरन रहने को मजबूर किया गया था। इतना ही नहीं, उसी समय ये भी खुलासा हुआ कि हॉस्टल में रहने वाली कई लड़कियों का जबरन गर्भपात भी करवाया गया था। जिन लड़कियों का गर्भपात हुआ था उन्होंने जब पुलिस के सामने गवाही दी तो पुलिस के भी होश गुम हो गए। क्योंकि लड़कियों और महिलाओं का कहना था कि वहां उन लड़कियों के साथ जबरन सेक्स किया जाता था और धमकी दी जाती थी कि अगर ये बात कहीं किसी को पता चली तो उनकी जान ले ली जाएगी। या ये कह कर लड़कियों को चुप करवा दिया गया था कि उनके घरवालों को नुकसान पहुँचाया जाएगा।

इसी बीच छपरा वाली पीड़ित महिला को भी अब कंपनी की सच्चाई पता चल चुकी थी और वो भी कंपनी के CMD तिलक सिंह की हवस का शिकार हो चुकी थी। पीड़िता का कहना है कि मुजफ्फरपुर में रहते हुए भी तिलक सिंह ने उसके साथ जोर जबरदस्ती कर शारीरिक संबंध बना। और जब वो गर्भवती हुई तो जबरदस्ती उसका भी अबॉर्शन करा दिया गया। तब पीड़ित महिला ने कंपनी के फर्जीवाड़े के बारे में पुलिस में शिकायत करने का इरादा किया और मुजफ्फरपुर के अहियापुर के थाने में जाकर अपना किस्सा सुना दिया। पीड़ित का कहना है कि हॉस्टल में लड़कियों को बंधक बना लिया जाता। चारों तरफ उसके आदमी तैनात रहते जिनकी नजरों से बचकर कोई भी लड़की या महिला वहां से भाग नहीं सकती थी।

इतना ही नहीं, डरा धमकाकर और पैसों का लालच देकर लड़कियों से फोन करवाए जाते और रिश्तेदारों में मौजूद लड़कियों को जॉब का लालच देकर बुलाया जाता और उनका यौन शोषण किया जाता। पीड़ित का कहना यही थता कि वो किसी भी सूरत में नहीं चाहती थी कि जैसा उसके साथ हुआ नहीं चाहती थी कि जैसे उसकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया गया। उस तरह किसी और लड़की के साथ न हो। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर पुलिस की चाक चौबंद बंदोबस्त का दावा होने के बावजूद मुजफ्फरपुर जैसे शहर में इस तरह का रैकेट चल कैसे रहा था?

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