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जाने आम बजट में है क्या ख़ास, पढ़े किसको फायदा और कौन उदास

तारिक़ आज़मी

डेस्क: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आज अपना सातवा बजट पेश किया। ससाद में पेश हुवे इस आम बजट में किसी को चेहरे पर ख़ुशी तो किसी को उदासी दिया है। जहा भाजपा और उसके सहयोगी दल इस बजट को विकास का बजट बताया है, वही दूसरी तरफ विपक्ष इस बजट को जनविरोधी करार दे रहे है।

लोकसभा चुनावों में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की जीत के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को आम बजट पेश किया। ये आम बजट एक अप्रैल से लागू माना जाएगा जो कि अंतरिम बजट की जगह लेगा। इस आम बजट ने साफ़ संकेत दिए हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकताओं में बदलाव आया है। मोदी सरकार के नए बजट में ग्रामीण विकास, कौशल, नौकरियों और कृषि के मद में रक़म को बढ़ाया गया है।

सोमवार को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वे से ही ये अनुमान लगाया जाने लगा था कि इस बजट में भारतीय शेयर बाज़ार के खुदरा निवेशकों को अच्छी ख़बर सुनने को नहीं मिलने वाली है। आम बजट में सभी वित्तीय और ग़ैर वित्तीय परिसंपत्तियों पर होने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ) पर लगने वाले टैक्स को 10 फ़ीसदी से बढ़ाकर 12.5 फ़ीसदी कर दिया गया है।

इसके साथ ही शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (अल्पकालिक पूंजीगत लाभ) पर टैक्स को 15 फ़ीसदी से बढ़ाकर 20 फ़ीसदी कर दिया गया है। इस आम बजट में डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग पर लगने वाले सिक्योरिटीज़ ट्रांसेक्शन टैक्स को भी बढ़ा दिया गया है। वित्त मंत्री सीतारमण ने देश की बेरोज़गारी की चुनौतियों से निपटने के लिए तीन नई योजनाओं की घोषणा की है। सरकार की ये योजना अगले पांच सालों के लिए दो हज़ार करोड़ रुपये की है।

औपचारिक क्षेत्र में पहली बार नौकरी पाने वालों को सरकार उनकी पहले महीने की सैलेरी पर अतिरिक्त डायरेक्ट कैश ट्रांसफ़र देगी जो 15,000 रुपये तक होगा। सरकार इसको ईपीएफ़ओ के ज़रिए कर्मचारी के ख़ाते में जोड़ेगी। इसके साथ ही सरकार ने निर्माण कार्य में रफ़्तार देने के लिए दो और कार्यक्रमों की घोषणा की है जिसमें सरकार कर्मचारी और नियोक्ता दोनों को रोज़गार से जुड़े इंसेन्टिव्स देगी।

भारत में तेज़ी से उभरते स्टार्टअप ईको सिस्टम को इस बात से ख़ुशी होगी कि निजी कंपनियों की जुटाई गई पूंजी पर लगाया जाने वाले एंजेल टैक्स अब ख़त्म कर दिया गया है। इसके साथ ही मिडिल क्लास को थोड़ी राहत देते हुए सरकार ने नई कर व्यवस्था (न्यू टैक्स रिजीम) की दरों में बदलाव किया है। इस घोषणा से लोगों के 17,500 रुपये बचेंगे। निवेश को बढ़ावा देने के लिए विदेशी कंपनियों पर लगने वाले कॉर्पोरेट टैक्स को 40 फ़ीसदी से घटाकर 35 फ़ीसदी कर दिया है। बजट के ज़रिए सरकार के दो अहम सहयोगियों की मांग को पूरा करने की कोशिश की गई है।

बिहार में बीजेपी के सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) और आंध्र प्रदेश में तेलुगू देसम पार्टी को ख़ुश रखने की कोशिश की गई है। वित्त मंत्री ने आंध्र प्रदेश को राजधानी के विकास के लिए 15,000 करोड़ की वित्तीय मदद देने का एलान किया है। साथ ही ये भी कहा है कि इसके आगे भी मदद दी जाएगी। इसके अलावा बिहार के लिए एयरपोर्ट्स, सड़कों और बिजली के प्रोजेक्ट लगाने के लिए बजट में प्रावधान किया गया है। बिहार में इन कामों के लिए 26,000 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

बजट में रोजाकोषीय घाटे को कम करने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार की आय में उसके व्यय की तुलना में कमी को राजकोषीय घाटा कहते हैं। यह सरकार की कुल आय और कुल व्यय के बीच का अंतर होता है। राजकोषीय घाटे की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब सरकार अपने संसाधनों से अधिक ख़र्च कर रही होती है। बजट में इसे 4.9 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा गया है। पहले सरकार ने 5.1 प्रतिशत का लक्ष्य रखा था।

राजकोषीय घाटे पर दुनिया भर की रेटिंग्स एजेंसियों की निगाह रहती है और इसका ब्याज दरों पर सीधा असर पड़ता है। इस घाटे को पाटने में रिज़र्व बैंक की ओर से सरकार को दिए गए 2.11 लाख करोड़ रुपये के डिविडेंट की अहम भूमिका है। इससे ख़र्चों में कटौती किए बगै़र सरकार घाटे को कम कर पाई है। वर्ष 2024-25 के बजट अनुमान में कुल व्यय 48,20,512 करोड़ अनुमानित है। इसमें से कुल पूंजीगत व्यय 11,11,111 करोड़ है।

वर्ष 2023-24 की तुलना में इस वर्ष का पूंजीगत व्यय 16.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। क्वेंटइको रिसर्च के अर्थशास्त्री और संस्थापक शुभदा राव कहते हैं, ‘ये साफ़ है कि अब सरकार का फ़ोकस रोज़गार, छोटे व्यवसायों और सामाजिक कल्याण पर है।’ उनका कहना था, ‘हालांकि लोगों की जेब में सीधे कैश नहीं गया है लेकिन टैक्स में थोड़ी बहुत हेरफेर से लोगों के पास खर्च करने के लिए कुछ पैसे बच सकते हैं।’

वित्त मंत्रालय ने अनुमान लगाया है कि मार्च 2025 में ख़त्म हो रहे वित्त वर्ष में देश की विकास दर 6।5% से 7% के बीच रह सकती है। ये आंकड़ा पिछले साल के 8.2% से कम है। यही नहीं वित्त मंत्रालय का ये अनुमान रिज़र्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और एशिया डेवलपमेंट बैंक के अनुमान से भी कम है।

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