तारिक़ आज़मी
डेस्क: भारत में आज मुहर्रम का चाँद दिखाई दे गया है। इसी के साथ इस्लामिक कैलेंडर की शुरुआत हो गई है। इसे हिजरी कैलेंडर के रूप में जाना जाता है। मुहर्रम महीने का पहला दिन इस्लामिक नए साल की शुरुआत होती है। आज मुहर्रम का चाँद नज़र आते ही इमामबाड़ो में नौहख्वानी का दौर शुरू हो गया है। इमामबाडो को सजाया गया है। मुहर्रम का चाँद नज़र आने के बाद विभिन्न इमामबाड़ो में आज मातम हुवे है।
इस्लामिक कैलेंडर चंद्रमा के चरणों पर आधारित है, इसलिए मुहर्रम की तारीखें हर साल ग्रेगोरियन कैलेंडर में अलग होती हैं। मुहर्रम का महीना दुनियाभर के मुसलमानों के लिए धार्मिक रूप से ऐतिहासिक महत्व रखता है। इस्लामिक नव वर्ष हिजरी 1446 का पहला दिन मनाएगा गया। भारत में रविवार शाम को मुहर्रम के महीने का चांद दिखा। 07 जुलाई इस्लामिक कैलेंडर के आखिरी महीने जिलहिज्जा 1445 का आखिरी दिन था। इस्लामी नव वर्ष के पहले महीने मुहर्रम शब्द का अर्थ है ‘अनुमति नहीं होना’ या ‘निषिद्ध’।
मुहर्रम मुसलमानों के लिए शोक और चिंतन का महीना होता है। मुहर्रम में ही इमाम हुसैन और उनके साथियों ने इंसानियत की भलाई के लिए अपनी शहादत दिया था। ऐसे में मुहर्रम पर मुसलमान न्याय, बहादुरी और उत्पीड़न के खिलाफ खड़े होने के उनके उसूलों को याद करते हैं। खलीफा उमर ने 638 में इस्लामिक कैलेंडर स्थापित किया था, ये कैलेंडर हिजरी युग पर आधारित समय को चिह्नित करता है। यह युग पैगंबर मुहम्मद (SW) के मदीना प्रवास (हिजरत) के साथ शुरू हुआ, जो इस्लामी इतिहास में एक निर्णायक क्षण था। ग्रेगोरियन कैलेंडर के विपरीत, इस्लामिक कैलेंडर चंद्र चक्र का अनुसरण करते हुए हर महीने नए चंद्रमा के दर्शन के साथ शुरू होता है।
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