प्रमोद कुमार
डेस्क: सुल्तानपुर जनपद में एक गोशाला के नज़दीक कई गायों के कंकाल मिलने के बाद गांववालों और गोशाला में काम करने वालों के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। राजधानी लखनऊ से 150 किलोमीटर दूर सुल्तानपुर ज़िले के पैगूपुर गांव की खुनशेखपुर गोशाला के पास खुले में दर्जनों गायों के कंकाल का एक वीडियो बीते दिनों सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हुआ।
ग्रामीणों के मुताबिक़ गायों के खाने के लिए गोशाला में ना तो पर्याप्त खाने का इंतज़ाम था और ना चारे का। साथ ही उनके रख-रखाव में घोर उपेक्षा बरती गई जिससे गायों की मौत हो गई। लेकिन ग्राम प्रधान और स्थानीय प्रशासन ने दावा किया कि ये गायें स्थानीय लोगों की ही हैं और गोशाला को बदनाम करने के इरादे से गांववाले उन पर आरोप लगा रहे हैं। गांववालों का दावा है कि कुछ दिनों पहले गोशाला के आसपास से बेतहाशा बदबू आने लगी। ग्रामीणों के मुताबिक़ जब वो इसकी वजह जानने निकले तो उन्हें गोशाला के पास कई गायों के शव नज़र आए जो बहुत बुरी हालत में थे।
कई दूसरे ग्रामीणों ने भी बताया है कि उन्हें गोशाला के पास दर्जनों गायों के शव नज़र आए। हालांकि, गोशाला के प्रबंधन से जुड़े लोग इस तरह के सभी आरोपों को ख़ारिज करते हैं। उनका दावा है कि गांव के पास जो गायें मरीं थीं, वो गोशाला की नहीं थीं। गोशाला के आसपास रहने वाले ग्रामीणों का आरोप है कि जब वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर हुआ तो प्रशासन ने आपाधापी में बिखरी गायों के शवों को मिट्टी के अंदर दबा दिया और जेसीबी से नए गड्ढे और नाले खोद दिए। जबकि ग्राम प्रधान रवि ज्ञान शंकर ने शिकायतकर्ता देवेंद्र पांडेय पर छवि धूमिल करने के लिए वीडियो वायरल करने का आरोप लगाया है।
ग्राम प्रधान रवि शंकर ने कहा कि ‘पंचायत चुनाव आ रहा है। चुनावी रंजिश की वजह से मुझे प्रताड़ित किया जा रहा है। देवेंद्र पांडेय गोशाला से गायों का चारा चोरी कर ले जा रहे थे। वीडियो बनाकर झूठी अफवाहें फैला रहे हैं। गांव में हमारी छवि धूमिल करने के लिए काम कर रहे हैं। जो वीडियो वायरल है वह यहां का नहीं है।’ ज़िला सूचना कार्यालय ने भी एक प्रेस नोट जारी किया जिसमें कहा गया कि गोशाला के बाहर खुले में फेंकी गई मृत गाएं गोशाला की नहीं है। खुनशेखपुर गोशाला से 300 मीटर दूरी पर पाई गईं मृत गायों को इस प्रेस नोट में गांववालों की बताया गया है। सुल्तानपुर ज़िलाधिकारी कृतिका ज्योत्सना से हमने खुनशेखपुर गोशाला मामले में जानकारी लेने की कोशिश की तो उन्होंने सिर्फ़ इतना कहा कि, ‘मामले में कार्रवाई हो चुकी है। मेरा वही बयान है जो सूचना कार्यालय के प्रेस नोट में कहा गया है।’
वहीं पशुपालन अधिकारी अखिलेश तिवारी ने अपने बयान में कहा है कि ‘स्थानीय प्रशासन के अनुसार गायें गोशाला की नहीं थीं। गांव के लोग अपनी मृत गायें गोशाला के पास यार्ड में डालते थे। प्रशासन जांच कर रहा है अभी तक उसकी रिपोर्ट नहीं आई है। मैं अपने डॉक्टरों को अलर्ट रखता हूं। गोशाला की गायों की सीरियल नंबर से टैगिंग होती है। खुनशेखपुर गोशाला में गायों की संख्या पूरी पाई गई। गोशाला की गायें नहीं थीं बाकी वो गायें किसकी और कहां की थीं शासन-प्रशासन जाने।’
खुनशेखपुर गोशाला के पास बड़ी संख्या में मृत गायों का मामला सामने आने के बाद से ज़िले में सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों में आवारा पशु को लेकर एक बार फिर चर्चा गर्म हो चुकी है। भारतीय जनता पार्टी की ओर से गोशाला में मृत गायों के मामले में अभी तक कोई आधिकारिक पक्ष सामने नहीं आया है। समाजवादी पार्टी जिलाध्यक्ष रघुवीर यादव कहा है कि ‘भाजपा वालों के लिए गाय माता समान हैं। वो मर रही हैं और पैसा कोई और खा रहे हैं। गायों को चारा-पानी नहीं मिल रहा है। इतनी बड़ी संख्या में गायों का मरना सीधे तौर पर भ्रष्टाचार है।’
खुनशेखपुर गोशाला का उद्घाटन पूर्व बीजेपी विधायक देवमणि द्विवेदी ने किया था। उनका कहना है कि ‘ग्रामीण लोग ज़िलाधिकारी महोदया से मिले हैं उन्होंने तत्काल कार्रवाई का आश्वासन दिया है। जहां तक रही बात गायों के मरने की तो एक गाय की औसत उम्र बारह वर्ष होती है। लोग लास्ट स्टेज पर उन्हें छोड़ते हैं। लेकिन हां, इस मामले में लापरवाही की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।’
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