माही अंसारी
डेस्क: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के ख़िलाफ़ कांग्रेस नेतृत्व वाले 18 विपक्षी दलों के संयुक्त मंच ने एक एफ़आईआर दर्ज कराई है। यह एफ़आईआर गुवाहाटी के दिसपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई है। इसके अनुसार मुख्यमंत्री सरमा पर ‘धर्म और जाति के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने’ के प्रयास करने के आरोप लगाए गए हैं।
एफ़आईआर में कहा गया है कि मुख्यमंत्री और बीजेपी के लोगों ने 22 अगस्त को मध्य असम के धींग में सामूहिक बलात्कार के एक मामले का फायदा उठाकर एक विशेष समुदाय के ख़िलाफ़ कथित तौर पर ज़हर उगला, जिसके कारण ऊपरी असम के शिवसागर में बंगाली मूल के मुसलमानों पर हमले हुए। इससे पहले मंगलवार को राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री सरमा ने कहा था कि ‘मियां’ मुस्लिम लोग पूरे असम पर कब्ज़ा करने पर ज़ोर देंगे। मुख्यमंत्री ने कहा था कि वह असम को “मियां लोगों की भूमि” नहीं बनने देंगे।
दरअसल नगांव जिले के धींग में नाबालिग के साथ हुई कथित बलात्कार की घटना में जिन तीन युवकों पर आरोप लगे उनका ताल्लुक बंगाली मूल के मुसलमान समुदाय से है। इस बलात्कार की घटना के खिलाफ पूरे असम में गुस्सा है जिसके चलते जातीय तनाव बढ़ गया है। इस घटना के बाद से बंगाली मूल के मुसलमानों को खासकर ऊपरी असम छोड़ने की धमकियां दी जा रही हैं। यहां तक कि शिवसागर जिले में जिन मुसलमान मज़दूरों की पिटाई की गई उनके पीछे बीजेपी नेताओं का हाथ होने के आरोप लगे है।
पीड़ित मजदूरों ने अपने ऊपर हुए हमले के खिलाफ बरपेटा सदर थाने में एक मामला भी दर्ज कराया है। विपक्षी दलों ने पुलिस से अनुरोध किया कि वह सरमा और उनके कथित ‘सह-षड्यंत्रकारियों’ के ख़िलाफ़ बीएनएसएस 2023 की धारा 61, 196 और 35 (2) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू करें। असम जातीय परिषद के प्रवक्ता जियाउर्रहमान ने कहा कि असम के मौजूदा माहौल में सीएम को सांप्रदायिक सद्भाव की अपील करनी चाहिए और इसके लिए काम करना चाहिए। अगर पुलिस ने यह मामला दर्ज नहीं किया तो वो कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएंगे।
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