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महज़ 100 ग्राम ज्यादा वज़न के कारण भारत की बेटी विनेश फोगाट हुई ओलम्पिक रेस से बाहर, गोल्ड की दावेदार को आना पड़ेगा खाली हाथ

तारिक़ खान

डेस्क: ओलम्पिक में दुनिया की नम्बर एक कुश्ती खिलाडी को धुल चटा कर सोने के तमगे हेतु लड़ने के लिए फाइनल में पहुची भारत की बहादुर बेटी विनेश फोगाट को उस समय निराशा हाथ लगी जब वह महज़ 100 ग्राम अधिक वज़न के वजह से ओलम्पिक से डिसक्वालीफाई हो गई है। सोने के तमगे की प्रबल दावेदार विनेश फोगाट को अब खाली हाथ लौटना पड़ेगा।

विनेश फोगाट ने ओलंपिक के फ़ाइनल में पहुंचकर करोड़ों भारतीयों का दिल जीत लिया था। लेकिन ये ख़ुशी ज़्यादा समय तक नहीं रह पाई। विनेश फोगाट पेरिस ओलंपिक में ज़्यादा वज़न होने के कारण अयोग्य घोषित की गई हैं। विनेश अब ओलंपिक में कोई मेडल नहीं जीत सकेंगी। विनेश फोगाट महिलाओं के 50 किलो भार वर्ग के फ्री स्टाइल स्पर्धा में चुनौती पेश कर रही थीं। लेकिन बुधवार सुबह जब उनका वज़न किया गया तो उनका वज़न मान्य वज़न से कुछ ग्राम ज़्यादा पाया गया।

भारतीय दल ने विनेश के वज़न को 50 किलोग्राम तक लाने के लिए थोड़ा समय मांगा लेकिन अंततः विनेश फोगाट को तय वज़न से कुछ अधिक भार के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया। बताते चले कि किसी भी रेसलिंग इवेंट भी हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों को अलग-अलग भार वर्ग में वर्गीकृत किया जाता है। रेसलिंग, बॉक्सिंग जैसे खेलों में ये तय तरीका है, जिससे सभी खिलाड़ियों के लिए निष्पक्ष मौका सुनिश्चित किया जाता है। किसी भी टूर्नामेंट में एक भार वर्ग के लिए प्रतियोगिता दो दिनों में आयोजित की जाती है।

आधिकारिक तौर पर पहली बार किए गए समय पर जो वज़न होता है, प्रत्येक खिलाड़ी को केवल उसी एक भार वर्ग में खेलने की इजाज़त होती है। वज़न के वक्त खिलाड़ी केवल सिंगलेट यानी स्लीवलेस शर्ट ही पहन सकते हैं। बढ़े हुए वज़न के मामले में कोई समझौता नहीं हो सकता है। किसी भी भार वर्ग के मुक़ाबले के पहले दिन सुबह ही मेडिकल जाँच और वज़न किया जाता है।

इस दौरान रेसलर मेडिकल परीक्षण से गुज़रते हैं। यहां क्वॉलिफ़ाइड फ़िजिशियन ऐसे किसी भी रेसलर को बाहर का रास्ता दिखा देते हैं जिनसे कोई संक्रामण रोग फैलने का जोखिम हो। खिलाड़ियों को अपने नाख़ून भी छोटे-छोटे काटने पड़ते हैं। ये पहली प्रक्रिया करीब आधे घंटे तक चलती है। जो इन भारवर्ग के लिहाज़ से फिट पाए जाते हैं उन्हें खेलने दिया जाता है। इसके बाद जो लोग फ़ाइनल के लिए क्वॉलिफ़ाई करते हैं, उन्हें दूसरे दिन की सुबह भी वज़न करवाना होता है। ये प्रक्रिया 15 मिनट तक चलती है।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू के नियम कहते हैं कि इस दौरान भी वज़न में किसी तरह का समझौता नहीं किया जाता। नियमों के अनुसार, ‘वज़न करने की पूरी प्रक्रिया के दौरान रेसलर के पास ये हक़ है कि वे कितनी भी बार मशीन पर वज़न करते हैं। इस प्रक्रिया के लिए चुने गए रेफ़रियों की ये ज़िम्मेदारी होती है कि वे सभी संबंधित भार वर्ग के प्रतिभागियों के वज़न की जाँच करें। साथ ही ये भी सुनिश्चित करें कि खिलाड़ी सभी आवश्यकताओं को पूरा करें। अगर किसी रेसलर पर किसी तरह का जोखिम है तो ये रेफ़री उसकी भी सूचना देते हैं।’

अगर कोई एथलीट वज़न की प्रक्रिया पूरी नहीं करता या इसमें फेल हो जाए तो उन्हें प्रतियोगिता से बाहर कर दिया जाता है और सबसे आख़िरी पायदान पर रखा जाता है। अगर कोई फ़ाइनलिस्ट फ़ाइनल से पहले वज़न को लेकर अयोग्य घोषित होता है तो उसकी जगह सेमीफ़ाइनल में हारे खिलाड़ी को मौक़ा दिया जाता है। इसी तरह से विनेश के मामले में आईओसी ने फ़ैसला लिया है।

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