तारिक़ आज़मी
डेस्क: बाबा राम रहीम के लिए जेल नही बल्कि एक सराय खाना हो गया है। मिली हुई सज़ा बैंक लोन की तरह किश्तों में गुज़र रही है। बाबा राम रहीम को जेल से मिलती पेरोल पर अगर नज़र डाले तो सवाल खड़ा होगा कि आखिर कौन कहता है कि कानून सबके लिए एक बराबर होता है? एक अकेले इंसान ने यह बात ज़ाहिर कर दिया कि कानून ताकतवर के साथ होता है और कमज़ोर के लिए सख्त होता है। बलात्कार और क़त्ल की मिली 20 साल की दो दो उम्र कैद की सजा राम रहीम किश्तो में गुज़ार रहे है।
कायदे से देखें तो 20-20 साल की दो-दो उम्रकैद की सजा पाने वाला गुरमीत राम रहीम पिछले सात सालों में ही 255 दिन से ज्यादा पेरोल और फरलो के नाम पर आजादी के मजे ले चुका है। NCRB यानी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े के मुताबिक इस वक्त पूरे देश में लगभग छह लाख कैदी अलग अलग जेलों में बंद हैं। इन छह लाख में से लगभग पौने दो लाख ऐसे कैदी हैं जो सजायाफ्ता हैं यानी जिनके गुनाहों का हिसाब हो चुका है और उन्हें सजा सुनाई जा चुकी है। दावा है कि पूरे देश की जेलों में घूम आइये, और बस एक ऐसा कैदी दिखा दीजिए जो पिछले सात सालों में 255 दिन से ज्यादा पेरोल और फरलो के नाम पर जेल से बाहर भेजा गया हो। शर्तिया गुरमीत राम रहीम के अलावा दूसरा नाम ढूंढ़ने से आपको नहीं मिलेगा।
अब सवाल ये है कि देश की जेलों में बड़े बड़े तोप और पहुँच वाले कैदी भी बंद हैं। तो फिर गुरमीत राम रहीम के ऊपर ही पेरोल और फरलो की ये कृपा क्यों? तो याद रखिये गुरमीत का बलात्कारी और कातिल चेहरा सामने आने से पहले एक चेहरा वो भी था जिसे बाबा नाम दिया गया था। और उस बाबा के चरणों और दरबार में बड़े बड़े धुरंधर माथा टेकने और हाजरी लगाने आते हैं। तब बाबा का आशीर्वाद बरसता था। अब उसी बाबा को वही आशीर्वाद रिटर्न गिफ्ट में मिल रहा है। वैसे ये रिटर्न गिफ्ट तब तब ज्यादा मिलता है जब जब चुनावी मौसम आता है। अपने यहां तो हर मौसम चुनावी मौसम होता है। कभी निगम चुनाव, कभी पंचायत चुनाव, कभी विधान सभा, कभी लोकसभा।।। यहां तक कि उप चुनाव। ये इत्तेफाक तो हो नही सकता है।
अब इस बार मिली तीन सप्ताह की आज़ादी पर ख्याल करे तो ऐसा लगता है कि जैसे चुनावी माहोल देखने के लिए आज़ादी मिली हो। बस कुछ वक्त बाद ही उसी हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है, जिस हरियाणा में बाबा के आशीर्वाद का सबसे ज्यादा असर है। तो चुनावी तैयारी से पहले तैयारियों का जायजा लेने के लिए बाबा को जेल से बाहर निकालना जरूरी तो था ही। वैसे कमाल ये भी है कि इस बार ऐन गुरमीत राम रहीम के जन्म दिन से पहले फरलो पर रिहाई का फैसला उसी पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दिया है जिसने कुछ वक्त पहले राम रहीम को बार-बार लगातार 50-50 दिन की पेरोल या फरलो दिए जाने पर राज्य सरकार की क्लास लगा दी थी। तभी अदालत ने ये फैसला भी सुना दिया था कि आइंदा जब भी राम रहीम को बाहर जाना होगा तो राज्य सरकार पहले उससे इजाजत लेगी।
तो गुरमीत राम रहीम और हरियाणा सरकार इस बार उसी पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में पहुँच गई। एक नई रिहाई का परवाना मांगने। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट भी पिछली बातें भूल गई और गुरमीत राम रहीम से कहा कि जा 13 अगस्त से अगले 21 दिन तक जी ले अपनी जिंदगी। उतार दे कैदी के कपड़े, फिर से पहन ले अपनी वही ठगी वाली पोशाक और अपनी फितरत के मुताबिक बाहर जाकर सोशल मीडिया के जरिए फिर से अपने ज्ञान प्रवचन दे डाल। इधर अदालत से रिहाई का परवाना आया उधर 13 अगस्त की शाम को ही सुनरिया जेल का दरवाजा पूरे अदब से खोल दिया गया।
गुरमीत के भक्त दरवाजे के बाहर थे, अपने बाबा को लिया और निकल पड़े यूपी के बागपत के करीब बाबा के बरवाला आश्रम के लिए। अब अगले 21 दिन बाबा उसी आश्रम से फिर से ज्ञान देंगे….। प्रवचन देंगे….। चुनावी रणनीति बनाएंगे….। चोरी चोरी चुपके चुपके तमाम नेता और अफसर मिलने भी आएंगे। क्योंकि भले ही गुरमीत राम रहीम एक बलात्कारी और कातिल है पर हरियाणा की राजनीत कर रहे राजनेताओं को अब भी उसके अंदर से लहू की जगह वोट की बू आती है।
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