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कोलकाता रेप और मर्डर केस: सुप्रीम कोर्ट ने अस्पताल और प्रशासन को फटकार लगाते हुवे किया टास्क फ़ोर्स का गठन

आफताब फारुकी

डेस्क: कोलकाता रेप-मर्डर मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। कोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। ये सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने की। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, कोर्ट ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि अपराध का पता शुरुआती घंटों में ही चल गया था। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने इसे आत्महत्या बताने की कोशिश की।’

कोर्ट ने कहा, ‘अधिकतर युवा डॉक्टर 36 घंटे तक काम करते हैं। हमें कामकाज़ के सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने के लिए एक नेशनल प्रोटोकॉल विकसित करना चाहिए।’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर महिलाएं काम पर नहीं जा पाएंगी और कार्यस्थल पर सुरक्षित नहीं होंगी, तो ऐसा कर हम उन्हें समानता के अधिकार से वंचित कर रहे हैं। कोर्ट ने इस बात पर भी चिंता ज़ाहिर की कि पीड़िता का नाम मीडिया में हर जगह छप चुका है।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब आरजी कर अस्पताल के प्रिंसिपल का आचरण जांच के दायरे में था, तो उन्हें तुरंत दूसरे कॉलेज में कैसे नियुक्त कर दिया गया। साथ ही कोर्ट ने कोलकाता पुलिस पर भी सवाल उठाए। उसने कहा कि कैसे हज़ारों की भीड़ आरजी कर मेडिकल कॉलेज में घुस गई।

राज्य सरकार को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में एफआईआर देरी से दर्ज करने को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने पूछा कि अस्पताल प्रशासन क्या कर रहा था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य में क़ानून-व्यवस्था पूरी तरह से विफल हो गई है। मेहता ने कहा, ‘कोलकाता पुलिस की जानकारी के बिना 7,000 लोगों की भीड़ आर जी कर अस्पताल में प्रवेश नहीं कर सकती।’

10 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय प्रोटोकॉल तैयार करने के लिए 10 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया है। इसका काम डॉक्टरों की सुरक्षा और सुविधाएं सुनिश्चित करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से रेप-मर्डर मामले में जांच की स्टेटस रिपोर्ट देने और पश्चिम बंगाल सरकार से आरजी कर अस्पताल पर भीड़ के हमले की जांच को लेकर स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा है। इसकी तारीख 22 अगस्त रखी गई है।

कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार से कानून-व्यवस्था बनाए रखने और घटना स्थल को सुरक्षित रखने की अपेक्षा की गई थी। लेकिन ये समझ नहीं आ रहा कि राज्य ऐसा क्यों नहीं कर सका। कोर्ट ने कहा कि सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि आरजी कर अस्पताल पर हमला करने वाले उपद्रवियों को गिरफ्तार किया जाए और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो।

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