तारिक आज़मी
डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देशभर में बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है। यह फैसला कई कारणों से महत्वपूर्ण है और इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। यह फैसला उन सरकारों पर ख़ासा असर दिखाने वाला हो सकता है, जिन सरकारों का सिम्बल ही बुल्डोज़र हो चूका है। इस बुल्डोज़र के कार्यवाही की ज़द में केवल उत्तर प्रदेश ही नही बल्कि मध्य प्रदेश महाराष्ट्र जैसे राज्यो के नाम शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कानून के शासन को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कम से कम उनके लिए तो ज़रूर है जो लोग बुल्डोज़र इन्साफ के पक्षधर थे। जस्टिस आन स्पॉट की राह पर चलने वाले एक वर्ग को कम से कम अदालत के इन्साफ का इंतज़ार करना पड़ेगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी भी व्यक्ति की संपत्ति को बिना उचित न्यायिक प्रक्रिया के ध्वस्त नहीं किया जा सकता है। जो मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण तथ्य है। बुलडोजर एक्शन अक्सर निर्दोष लोगों को भी प्रभावित करता है और उनके जीवन को तबाह कर देता है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राज्यों की उन मनमानी पर भी रोक लग गई है जिसके तहत निरंकुशता दिखाते हुवे प्रशासन के द्वारा शासन को दिग्भ्रमित करने की कोशिश करता है। कानून का उल्लंघन करने वालों को सबक मिलेगा। जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद जैसे धार्मिक संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि यह एक महत्वपूर्ण जीत है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि यह एक सकारात्मक कदम है।
आज के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बिना उचित न्यायिक प्रक्रिया के किसी भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा है कि सड़कों, फुटपाथों और रेलवे लाइनों पर अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए यह आदेश लागू नहीं होता है। कोर्ट ने कहा है कि बुलडोजर एक्शन कानून के शासन पर बुलडोजर चलाने जैसा है। यह फैसला एक बार फिर हमें याद दिलाता है कि कानून के शासन को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी नागरिकों को न्याय मिले और उनके अधिकारों का संरक्षण हो।
वही आज एक जनहित याचिका और दाखिल हुई है जिसमे मांग किया गया है कि जिनके घरो को बिना किसी फैसले के बुल्डोज़ किया गया है उनको उचित मुआवजा मिले और सम्बंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही हो। इस याचिका के दाखिल होने के बाद इसकी सुनवाई होगी और अदालत इसको स्वीकार करेगी या नही अभी यह देखने वाली बात है।
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