फारुख हुसैन
डेस्क: बेंगलुरु शहर ही नही बल्कि पूरा देश इस घटना से काँप उठा था। बेंगलुरु में 21 सितंबर को एक महिला की लाश 59 टुकडो में कटी हुई फ्रिज के अन्दर बरामद हुई थी। महिला की शिनाख्त महालक्ष्मी के रूप में हुई थी। इस क़त्ल के बाद पुरे देश में सिहरन सी दौड़ गई थी कि आखिर कौन है इतना ज़ालिम जिसने क़त्ल करके लाश के 50 टुकड़े कर दिए। अब जब क़त्ल का खुलासा हुआ तो हत्या करने वाला व्यक्ति पुलिस को जिंदा नही हाथ आया, बल्कि उसकी लाश मिली है।
माल में काम करने वाले एक और मुलाजिम के मुताल्लिक जानकारी पुलिस को मिली कि वो भी उसी 1 सितंबर से जब से महालक्ष्मी गायब थी, तभी से गायब है। वो मुलाजिम कोई और नही बल्कि मुक्ति रंजन था। अब पुलिस ने जब मुक्ति रंजन के कॉल डिटेल रिकॉर्ड को खंगालना शुरु किया। तो पता चला कि 2 और 3 सितंबर को उसके मोबाइल का लोकेशन महालक्ष्मी के घर के आसपास का ही था। यहीं से पुलिसो को मुक्ति रंजन पर शक हुआ। तफ्तीश के दौरान पता चला कि मुक्ति महालक्ष्मी के घर से कुछ दूरी पर ही अपने छोटे भाई के साथ किराए के एक घर में रहता है। अब पुलिस मुक्ति के बेंगलुरु वाले घर में पहुंचती है।
जिसके बाद मुक्ति की तलाश में पुलिस ने चप्पे चप्पे छान लिए। मगर मुक्ति नही मिला। इस दरमियान 25 सितंबर की सुबह मुक्ति रंजन ओड़िसा के भदरक जिले के एक गांव में पुलिस को मिला, मगर जिंदा नही बल्कि उसकी लाश मिली। मुक्ति ने यहाँ एक पेड़ से लटककर खुदकुशी कर ली।। लेकिन खुदकुशी से पहले न सिर्फ उसने महालक्ष्मी के कत्ल की बात कबूली बल्कि कत्ल की वजह भी बता गया। 31 साल का मुक्ति रंजन ओड़िशा के इसी भदरक जिले का रहने वाला था। लेकिन नौकरी बेंगलुरु में किया करता था।
बेंगलुरु के जिस मॉल में मुक्ति काम किया करता था उसी मॉल में महालक्ष्मी भी काम किया करती थी। वहीं दोनों की मुलाकात हुई। और फिर दोस्ती और फिर प्यार। और यही प्यार महालक्ष्मी की जान ले गया। मुक्ति रंजन ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि ‘मैंने अपनी प्रेमिका महालक्ष्मी को 3 सितंबर को मार डाला।। मैं उसके बर्ताव से ऊब चूका था। कुछ पर्सनल मैटर पर हम दोनों के बीच झगड़ा हुआ और इसी झगड़े के दौरान मैंने उसे मार डाला। कत्ल के बाद लाश को ठिकाने लगाने के लिए मैंने उसके टुकड़े किए थे।’ सुसाइड नोट में आरोपी ने लिखा – मैं उससे प्यार करता था, लेकिन वो मुझे किडनैपिंग केस में फंसाने की धमकी देती थी।
पहले भी दोनों का झगडा पहुच चूका है थाने तक
इस सुसाइड नोट से साफ है कि मुक्ति और महालक्ष्मी रिलेशनशिप में थे लेकिन महालक्ष्मी कुछ और लोगों के भी करीब थी और यही बात दोनों के बीच झगड़े की वजह बनी। मुक्ति और महालक्ष्मी के बीच अक्सर विवाद हो जाता था। यहां तक कि दोनों की लड़ाई पुलिस तक भी पहुंच गई थी। मुक्ति ने सुसाइड नोट में लिखा है कि पहले महालक्ष्मी ने उसे मारने की कोशिश की थी, लेकिन गुस्से में उसी ने महालक्ष्मी का क़त्ल कर दिया और मुक्ति के लाए हुए चाकू से ही उसकी लाश के टुकड़े कर डाले। एक खास बात ये भी है कि मुक्ति ने ये सुसाइड नोट क़त्ल के दस रोज़ बाद यानी 13 सितंबर को ही लिख लिया था। लेकिन उसने खुदकुशी 25 सितंबर को की। यह बात एक बड़ा सवाल पैदा कर रही है कि पुलिस को लाश मिलने के पहले ही मुक्ति रंजन ने ख़ुदकुशी क्यों किया? दूसरा सवाल ये खड़ा हो रहा है कि सुसाइड नोट लिखने के 12 दिन बाद आखिर मुक्ति ने ख़ुदकुशी क्यों किया ? फिलहाल इन तमाम सवालो के जवाब पुलिस तलाश रही है।
भुवनेश्वर में बेंगलुरु की तीन-तीन टीमें पहुंच चुकी थी. भुवनेश्वर पुलिस को मुक्ति की जानकारी भी दे दी थी. लेकिन उधर इसी बीच 24 सितंबर के रात क़रीब 10 बजे मुक्ति बड़ी खामोशी से भदरक जिले के अपने गांव पहुंचता है. घर आने के बाद मुक्ति अपनी मां के सामने भी ये कबूल करता है उसके हाथों महालक्ष्मी का कत्ल हो गया है. करीब 6 घंटे घर में गुजारने के बाद तड़के 4 बजे जब घरवाले सो रहे थे मुक्ति कपड़ों का अपना बैग और लैपटॉप लिए अपने पिता की मोटरसाइकिल लेकर निकल जाता है. घर से करीब 3 किलोमीटर दूर जाकर रात के अंधेरे में ही वो इस पेड़ से लटक कर खुदकुशी कर लेता है.
मुक्ति की मौत के बाद जब पुलिस उसके बैग की तलाशी लेती है. तो उसमें से एक डायरी मिलती है. उसी डायरी के एक पन्ने पर मुक्ति के हाथों लिखा वो सुसाइड नोट था. मुक्ति की मां ने ये भी इल्जाम लगाया कि उसे सैलरी के जो पैसे मिलते थे उनमें से ज्यादातर वो महालक्ष्मी पर ही खर्च कर देता था.. फिर भी महालक्ष्मी उससे और पैसों और तोहफों की डिमांड करती थी. पोस्टमार्टम के बाद ओडिशा पुलिस ने मुक्ति की लाश उसके घरवालों को सौंप दी.. जिसके बाद उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया. बेंगलुरु पुलिस भी अब वहां पहुंच चुकी है. अदालत के जरिए वो मुक्ति के सुसाइड नोट को अपने कब्जे में लेकर अब आगे की जांच करेगी.
हालाकि मुक्ति की मौत के साथ कायदे से महालक्ष्मी के कत्ल का केस अब लगभग क्लोज हो चुका है.. लेकिन अब भी ऐसे कई सवाल रह गए हैं जिनका जवाब अब शायद ही कभी मिले. यहां तक की महालक्ष्मी की लाश के टुकड़े करने के लिए जिस तेज धार हथियार का इस्तेमाल किया गया वो भी पुलिस बरामद नहीं कर पाई है और अब शायद कभी बरामद कर भी ना पाए. इसके अलावा अगर महालक्ष्मी के कत्ल में मुक्ति की मदद किसी और ने भी की तो अब शायद उसका भी सच कभी बाहर ना आ पाए.
ओडिशा पुलिस ने कहा – हमारी जांच में ये बात सामने आई है कि मुक्ति रंजन करीब तीन साल बाद ओडिशा में अपने घर पहुंचा था। मुक्ति रंजन रात में अपनी मां के सामने फूट-फूटकर रोया और कहा कि मैंने महालक्ष्मी को मार दिया है। मां के सामने हत्या की बात कबूल करने के बाद बुधवार सुबह 5 बजे उसने सुसाइड कर लिया। महालक्ष्मी मर्डर केस की जांच के मामले में बेंगलुरु पुलिस ने ओडिशा पुलिस से संपर्क किया है। महालक्ष्मी केस के जांच अधिकारी बेंगलुरु से ओडिशा जाएंगे। मौके से मिला मुक्ति का सुसाइड नोट और मौका-ए-वारदात से बरामद लैपटॉप और बाकी सामान अपने कब्जे में लेंगे।
जांच में ये बात सामने आई है कि महिला की हेमंत नाम के शख्स से शादी हुई थी, लेकिन पति-पत्नी में विवाद की वजह से महालक्ष्मी अलग रहने लगी थी। पिछले पांच महीनों से वो किराए पर रह रही थी। पता चला है कि उसकी अशरफ नाम के शख्स से नजदीकियां हो गई थी, लेकिन पुलिस ने इस सिलसिले में दोनों यानी हेमंत और अशरफ से पूछताछ कर ली है। पुलिस को शुरुआती तौर पर ऐसा लगता है कि दोनों कातिल नहीं है।
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