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बुल्डोज़र एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को लगाया जमकर फटकार, कहा ‘किसी का घर सिर्फ इसलिए कैसे ध्वस्त किया जा सकता है कि वह अभियुक्त है?’ अदालत में उठा उदयपुर और जहागीरपूरी का मुद्दा, पढ़े क्या रखा जमियत-उल-ओलमा-ए-हिन्द के अधिवक्ता ने पक्ष

प्रमोद कुमार

डेस्क: बुलडोज़र एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सख़्त टिप्पणी की है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की पीठ ने सरकार को बुल्डोज़र एक्शन पर जमकर फटकार लगाते हुवे कहा कि किसी का घर सिर्फ़ इसलिए कैसे ध्वस्त किया जा सकता है क्योंकि वह अभियुक्त है।

Supreme Court reprimanded the government on bulldozer action, said, ‘How can someone’s house be demolished just because he is an accused?’ Issue of Udaipur and Jahagirpuri raised in the court, read what Jamiat-ul-Olama-e said. -Hind’s lawyer presented the case

जस्टिस बीआर गवई ने उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘कोई व्यक्ति दोषी भी है तो बिना क़ानून की निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना उसके घर को ध्वस्त नहीं किया जा सकता।’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हम पूरे देश के लिए दिशानिर्देश तय करेंगे, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वो किसी भी अनाधिकृत निर्माण को संरक्षण देंगे।’

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ‘हमने एफिडेविट के माध्यम से दिखाया है कि नोटिस काफी पहले ही भेजा गया था।’ उन्होंने बताया कि ध्वस्तीकरण का अपराध के मामले से कोई लेना-देना नहीं है। याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत दवे और सीयू सिंह ने इसके जवाब में कहा कि घर इस कारण ध्वस्त किए गए क्योंकि वो किसी मामले के अभियुक्त हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को तय की है।

सुप्रीम कोर्ट ने कई राज्यों में प्रशासन की ओर से किसी अपराध के आरोपी व्यक्ति के खिलाफ ‘बुलडोजर एक्शन’ लिए जाने पर चिंता जाहिर की है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने सोमवार, 2 सितंबर को विभिन्न राज्यों में ‘बुलडोजर एक्शन’ को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। बेंच ने कहा है कि सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी के घर को गिराना सही नहीं है। कोर्ट ने कई राज्यों में प्रशासन की ऐसी कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति दोषी भी है, तो भी उसके घर को गिराया नहीं जा सकता।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि ‘सिर्फ इसलिए घर कैसे गिराया जा सकता है कि वो आरोपी है? अगर वो दोषी भी हो तो भी उसका घर नहीं गिराया जा सकता।’ जस्टिस गवई ने कहा कि कोर्ट अनधिकृत निर्माणों को संरक्षण नहीं देगा, लेकिन कुछ दिशा-निर्देश भी जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि भले ही कोई निर्माण अनधिकृत हो, लेकिन फिर भी उसे ढहाने की प्रक्रिया ‘कानून के मुताबिक’ होनी चाहिए।

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