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मध्य प्रदेश के उच्चा शिक्षा मंत्री ने ‘ऐतिहासिक भाषण’ देते हुवे कहा ‘अमेरिका की खोज वास्को डीगामा ने नहीं एक भारतीय ने किया था, बीजिंग शहर का डिजाइन एक भारतीय आर्किटेक्ट ने तैयार किया

तारिक आज़मी

डेस्क: देश में चल रही मौजूदा सियासी हालात में कब कौन क्या भाषण में कह जाए कोई भरोसा नही है। आपको भले इतिहास उल्टा दिखाई दे जाए, मगर सियासी बयान ऐसे होते है, जिससे इतिहास के पन्ने ही बदल जाते है। ताज़ा मामला मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री का सामने आया है, जिन्होंने अपने बयान से इतिहास की पूरी धारा ही बदल दिया है। जिसको जानकर आप भी सोचने पर मजबूर हो जायेगे कि ऐसा कब हुआ?

इंदर सिंह परमार मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई सी पटेल और मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथ बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लेने पहुंचे थे। मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने 11 सितंबर को एक अति ऐतिहासिक’ बयान दे डाला। ‘ऐतिहासिक’ इसलिए क्योंकि उन्होंने इतिहास की धारा को बदल देने वाली बात कही है। उन्होंने इतिहास के एक स्थापित तथ्य को चुनौती दे डाली। दुनिया भर के इतिहासकारों को धता बताते हुए।

उन्होंने इस तथ्य को झुठला दिया कि कोलंबस ने अमेरिका की खोज की थी। साथ ही उन्होंने नई स्थापना भी दी। उनके मुताबिक एक भारतीय नाविक ने संयुक्त राज्य अमेरिका की खोज की थी। उच्च शिक्षा मंत्री यहीं पर नहीं रुके। उन्होंने आगे बताया कि बीजिंग शहर का डिजाइन एक भारतीय आर्किटेक्ट की मदद से बनाया गया था। जिसने भगवान राम की मूर्तियां बनाई थीं। यहां उन्होंने कहा, एक भारतीय नाविक 8 वीं शताब्दी में अमेरिका गया। और सैन डिएगो में उसने कई मंदिर बनवाए। ये चीजें आज भी वहां के संग्रहालय में लिखी हुई हैं।

उन्होंने कहा कि जब हम वहां गए तो हमने उनकी संस्कृति माया सभ्यता को विकसित करने में मदद की। जो कि भारत की सोच और दर्शन का तरीका है और जिसे छात्रों को पढ़ाया जाना चाहिए था। अगर कुछ सिखाने की जरूरत थी तो उसे सही तरीके से पढ़ाया जाना चाहिए कि हमारे पूर्वजों ने अमेरिका की खोज की थी, कोलंबस ने नहीं। इंदर सिंह परमार ने दावा किया कि  पुर्तगाली नाविक वास्को डी-गामा भारतीय व्यापारी चंदन के पीछे-पीछे भारत आया। उन्होंने बताया कि वास्को डीगामा ने लिखा है कि भारतीय व्यापारी चंदन का जहाज उसके जहाज से बड़ा था। सिर्फ थोड़ा ही बड़ा नहीं बल्कि उसके जहाज से दो से चार गुना बड़ा।

उन्होंने कहा कि हालांकि इतिहासकारों ने भारतीय छात्रों को गलत तरीके से पढ़ाया कि वास्कोडिगामा ने भारत और भारत के लिए समुद्री मार्ग की खोज की थी। इंदर सिह परमार ने आगे बताया कि उन्होंने एक दिलचस्प ऐतिहासिक तथ्य पढ़ा है कि 12 वीं शताब्दी में जब बीजिंग शहर की स्थापना हुई थी तो इसकी डिजाइन और आर्किटेक्चर एक नेपाली आर्किटेक्ट ने तैयार किया था। जो कि उस समय भारत का हिस्सा था। उन्होंने आगे बताया कि बाल बाहु नाम का यह आर्किटेक्ट बुद्ध और राम की मूर्तियां बनाने और भव्य संरचनाओं को डिजाइन करने के लिए जाना जाता था।

उन्होंने कहा कि उन्हें बीजिंग में डिजाइन करने के लिए आमंत्रित किया गया था। और आज भी सरकार द्वारा उनके योगदान को मान्यता देते हुए बीजिंग में बाल बाहु की एक प्रतिमा स्थापित की गई है। इंदर सिंह परमार ने बताया कि पोलिश खगोलशास्त्री कॉपरनिकस का सिद्धांत है कि सूर्य स्थिर है और पृथ्वी सहित सारे ग्रह उसके चारों ओर चक्कर लगाते हैं। यह हमारे प्राचीन ग्रंथों में पहले से ही लिखा हुआ है। उन्होंने आगे बताया कि हजारों साल पहले ऋग्वेद लिखने वालों ने इस तथ्य का उल्लेख कर दिया था।

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