तारिक आज़मी
डेस्क: हिमांचल के शिमला में शुरू हुआ विवाद आखिर पुरे प्रदेश के कई शहर की सडको पर दिखाई दे रहा है। शिमला में एक आपसी झगड़े के बाद उपजा विवाद मस्जिद के विरोध में आ गया और मस्जिद के मुखालिफ सबसे बुलंद आवाज़ किसी और की नही बल्कि खुद कांग्रेस सरकार के पंचायती राज्य मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने उठाया। यहाँ तक कि मस्जिद के विरोध में निकले जुलूस में भी वह शामिल हुवे। जिसके बाद से बात और भी बढती गई जो अब राज्य के कई जिलो को अपनी चपेट में ले चुकी है।
कमोबश यही हालात शनिवार को शिमला ज़िले के रामपुर, सुन्नी और कुल्लू ज़िला मुख्यालय में भी देखे गए, जहां मस्जिदों के पास हनुमान चालीसा का पाठ कर प्रदर्शन किया गया। इन जगहों पर जमा हुए प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि इन स्थानों पर अवैध रूप से मस्जिदें बनाई गई हैं। सबसे पहले बात मंडी की मस्जिद की। शुक्रवार को मस्जिद के नज़दीक स्थानीय लोगों के साथ हिन्दू संगठनों के कुछ कार्यकर्ता भी जमा हुए।
स्थिति को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने क्षेत्र में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 लगाई और प्रदर्शनकारियों को मस्जिद से कुछ दूर ही रोक लिया। उसके बाद प्रदर्शनकारी वहीं बैठकर हनुमान चालीसा पाठ कर अपना विरोध जताने लगे। जिस दिन यह सब हो रहा था, उसी दिन मंडी नगर निगम आयुक्त ने अपनी सुनवाई में एक महीने के भीतर अवैध निर्माण को तोड़ने के आदेश भी दिए थे। प्रशासन के अनुसार मस्जिद की दो मंज़िलें अवैध पाई गई थीं।
प्रशासन के अनुसार इसके अलावा मस्जिद की बाहरी दीवार लोक निर्माण विभाग की ज़मीन पर बनी पाई गई थी, जिसे मुस्लिम समुदाय के लोगों ने निशानदेही के बाद ख़ुद ही तोड़ दिया था। मंडी नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया कि अवैध निर्माण की शिकायत अक्तूबर 2023 में आई थी जिस पर नियमानुसार कार्रवाई की गई है। लेकिन शिमला मस्जिद विवाद के बाद से यहां भी अचानक प्रदर्शन होने लगे। आखिर मामले को इतना तुल मिला है कि प्रदेश के कई जिलो में ऐसे विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहे है, जो सुक्खू सरकार के लिए सही सन्देश तो नही हो सकता है।
मामले में विश्व हिन्दू परिषद भी अपनी भूमिका निभा रहा है। विश्व हिन्दू परिषद् के प्रदेश महामंत्री तुषार डोगरा ने मीडिया से कहा है कि ‘प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इसका कारण सरकार का ढुलमुल रवैया है। जब जनता सड़कों पर आई, सरकार तुरंत फ़ैसले सुनाने लगी। मंडी में शहर के बीचों-बीच मस्जिद बन गई, संजौली में भी ऐसा हुआ। इसके लिए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।’
जबकि मंडी में मस्जिद के मुखालिफ हो रहे प्रदर्शन को नेतृत्व प्रदान कर रहे गोपाल कपूर कहते हैं, ‘इस मस्जिद को लेकर स्थानीय लोग पहले से ही मुखर थे। शिमला में जो कुछ भी हुआ उससे मंडी में स्थानीय लोगों का आक्रोश बढ़ गया। विवाद अभी भी ख़त्म नहीं हुआ है। हमारी मांग है कि मस्जिद के बाहर और नीचे पुरातत्व विभाग से खुदाई करवाई जाए, इसके नीचे मंदिर के अवशेष मिलेंगे।’ मस्जिद की जगह के बारे में उन्होंने कहा कि यहां के राजा ने एक मुसलमान बुनकर को नमाज़ अता करने के लिए यह जगह दी थी। कपूर का दावा है कि बाद में राजस्व रिकार्ड्स से छेड़छाड़ कर ये ज़मीन मस्जिद के नाम कर दी गई।
दूसरी तरफ राजस्व विभाग के आकड़ो पर नज़र डाले तो कई मीडिया रिपोर्ट्स में इसका ज़िक्र है कि साल1970 के बंदोबस्त रिकॉर्ड में यह भूमि मस्जिद है। लेकिन यहां पर दो मंज़िलों का एक भवन बना है जिसका नक्शा प्रशासन की ओर पास नहीं है। यहां 45 वर्ग मीटर पर मस्जिद बनाने की अनुमति थी जबकि निर्माण 232 वर्ग मीटर पर हुआ है। जबकि, मस्जिद के इमाम इक़बाल अली ने बताया, ‘हमें अवैध निर्माण का नोटिस मिला था जिसके बाद लोकनिर्माण विभाग की ज़मीन पर बनी दीवार तोड़ दी है।’
अब अगर विरोध के तरीके को देखे तो सभी विरोध को देखते हुवे साफ़ अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इन सब जगहों पर विरोध प्रदर्शन का तरीक़ा एक जैसा था, लोगों ने मस्जिदों के बाहर या नज़दीक पहुँचकर हनुमान चालीसा का पाठ किया। हिमाचल प्रदेश हिन्दू जागरण मंच के प्रदेश अध्यक्ष कमल गौतम ने दावा किया है, ‘पिछले 10 सालों के अंदर सुन्नी में (जगह का नाम, समुदाय का नहीं) मस्जिद बनकर तैयार हो गई, लेकिन किसकी ज़मीन पर बनी है, इस बारे में कोई ख़ास जानकारी नहीं है।’
उनके मुताबिक़ स्थानीय लोगों को इस बारे में ठोस जानकारी नहीं है इसलिए प्रदेश सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। वो दावा करते हैं, ‘ऐसा ही कुल्लू में देखने को मिला है जहां पांच मंजिला मस्जिद बहुत कम समय में बनकर तैयार हो गई।’ स्थानीय लोगों का दावा है कि ये मस्जिद सरकारी ज़मीन पर अवैध तरीक़े से बनाई गई है। बीते दिनों कुल्लू में लगभग 50 साल पुरानी जामा मस्जिद के ख़िलाफ़ वहां के स्थानीय लोग लामबंद हो गए। कुल्लू में प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले क्षितिज सूद ने दावा किया है, ‘यह मस्जिद पुरानी ज़रूर है लेकिन इस ज़मीन का असली मालिक प्रदेश का खादी बोर्ड है।’ वहीं मस्जिद के इमाम नवाब हाश्मी का दावा है, ‘ज़मीन साल 1999 में मस्जिद के नाम हो चुकी है।’
सुन्नी में सक्रिय अल्पसंख्यक कल्याण समिति के अध्यक्ष मुश्ताक़ कु़रैशी ने कहा, ‘यह मस्जिद निजी ज़मीन पर बनी हुई है और सभी क़ानूनी औपचारिकताओं के तहत बनी है। किसी का पूरे समुदाय पर बिना वजह उंगली उठाना सही नहीं है।’ हालांकि कुल्लू नगर परिषद के अधिकारी के अनुसार, ‘साल 2000 में दो साल के भीतर दो मंजिल की मस्जिद बनाने कि अनुमति मिली थी, लेकिन यहां निर्माण कार्य 2017 तक पूरा हो पाया।’
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