तारिक आज़मी
डेस्क: बहराइच में हिंसा ग्रस्त इलाके में पीडब्लूडी द्वारा बुलडोज़र कार्यवाही की नोटिस चस्पा किये जाने के बाद संभावित बुलडोज़र कार्यवाही को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुवे हाई कोर्ट इलाहाबाद की लखनऊ बेंच ने पीडब्लूडी के बुलडोज़र पर पॉवर ब्रेक लगा दिया है। मिल रही जानकारी के अनुसार यह रोक 15 दिनों के लिए है। मामले में अगली सुनवाई बुद्धवार को होगी। वही तीन दिनों के अन्दर पीडब्लूडी को नोटिस का जवाब देना है। आज सुनवाई जस्टिस अताउररहमान मसूदी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की बेंच में हुई।
दरअसल बीते 13 अक्टूबर को बहराइच में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान बड़ा बवाल हो गया था। बवाल के दौरान एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद देखते ही देखते इस बवाल ने हिंसा का रूप ले लिया था। इस हिंसा में अस्पताल, दुकान और घर में तोड़फोड़ की गई थी। स्थित इतनी तनावपूर्ण हो गई थी कि एडीजी एलओ और एसटीएफ चीफ अमिताभ यश को सड़क पर पिस्टल लेकर उतरना पड़ गया। इस मामले में ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है। आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ ही आरोपियों के अवैध निर्माण पर बुल्डोजर की कार्रवाई का नोटिस चस्पा कर दिया गया है।
पीडब्ल्यूडी की ओर से नोटिस चस्पा किए जाने के बाद इलाके में हड़कंप मच गया था। नोटिस में कहा गया कि ये घर सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाए गए हैं। वहीं नोटिस चस्पा होने के बाद कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 15 दिनों तक बुल्डोजर कार्रवाई पर रोक लगा दिया है। जिन घरों में नोटिस चस्पा किया गया है, उन्हें 15 दिन में अपना जवाब दाखिल करना है। इस मामले में अगली सुनवाई बुधवार को होगी। साथ ही बताया जा रहा है कि बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है।
बहराइच हिंसा मामले पर पीआईएल दायर करने वाले एपीसीआर के उपाध्यक्ष युपी ईस्ट सैयद महफूजुर्रहमान ने बताया कि 18 तारीख को 23 घरों में ध्वस्तीकरण की नोटिस चस्पा की गई थी। नोटिस पर डेट 17 अक्टूबर पड़ी थी, जिन घरों में नोटिस चस्पा की गई थी, उन्हें तीन दिन का समय मिला था। ये रविवार को पूरा हो गया। उन्होंने बताया कि जिन लोगों के नोटिस मिला है, वो लोग या तो जेल में है या फिर डरकर कहीं चले गए हैं।
ऐसे में हमने एक जनहित याचिका दायर कर ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की थी। कोर्ट ने पीड़ित पक्ष को 15 दिन के भीतर अपना लिखित जवाब सक्षम अधिकारी को देने के लिए कहा है। अधिकारी उस जवाब पर सही निर्णय लेकर इस पर आदेश दें। फिलहाल इस मामले में अगली सुनवाई बुधवार को होगी।
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