तारिक आज़मी
हमने आपसे कल ही कहा था कि वाराणसी विकास प्राधिकरण में ‘सिस्टम’ सेट हो जाता है। भले वीसी साहब दावा करते रहे कि कोई अवैध निर्माण नही होगा। हकीकत तो ये है कि अन्दर खाने तक मचे करप्शन ने अपनी जड़े इतनी मजबूत कर लिया है कि वह खत्म होने का नाम ही नही ले रही है। वीसी साहब के दावो के परिपेक्ष्य में कुछ कमज़ोर तबके पर कार्यवाही होती दिखाई देती है। बेशक ये कार्यवाही उस मजबूत तबके के लिए नही है जो सब कुछ ‘सिस्टम’ में लाने का बुता रखता हो। ऐसे कई उदाहरण शहर में आपको दिखाई दे जायेगे जिसको देख कर आप खुद ही इस बात की गवाही देने को तैयार हो जायेगे कि ‘सिस्टम’ वाराणसी विकास प्राधिकरण में सब सेट हो जाता है। बस सेट करने वाला चाहिए।
अब हमारे सूत्र भी बड़ी मजबूत जड़ बनाये है साहब। एकदम उतनी मजबूत जड़ जितनी करप्शन की मजबूत जड़ विभाग में है। हमारे सूत्र बताते है कि सुपर वाइज़र साहब आने के पहले ही बिल्डर को ट्रिंग ट्रिंग कर बैठे और सीधे बिल्डर साहब के आवास पर पहचे। अब सुपरवाईज़र आये है तो आवभगत में कुछ कमी नही रहनी चाहिए। इसलिए बेहतरीन वाली काजू कतली, बेहतरीन फ्राई किया हुआ काजू, बादाम और साथ में ज़बरदस्त बिना शक्कर की चाय। कुछ देर हां हां ही ही का दौर चला। हमारे सूत्र ने बताया कि काजू कतली का क़र्ज़ एकदम एहसान खान की तरह उतारे जाने का वायदा करके सुपरवाईज़र चले गए।
अब सूत्र हमारे विभाग के अन्दर भी बैठे है। विभागीय सूत्र कहते है कि सुपरवाईज़र साहब कल साहब के टेबल पर आल इज वेल की रिपोर्ट रख देंगे। अब काजू के साथ काजू कतली का इतना तो वज़न होता है। आल इज वेल की रिपोर्ट आएगी और बस वही हाल होगा कि ‘चार दिन चर्चा उठेगी, डेमोक्रेसी लायेगे, पांचवे दिन भूल कर अगले नम्बर पर लग जायेगे।’ तो आल इज वेल भले वीसी साहब आपके अधीनस्थ कहे, मगर हकीकत ये है कि हर एक को दिखाई दे रहा है कि ये अवैध निर्माण है, बस न दिखाई दे रहा है तो आपको और आपके विभाग को। आपको आपके अधीनस्थ जो दिखाते है, वह आप देखते है और हकीकत ये है कि रंगीन कागजों के चश्मे और सियाही से डूबी हुई तस्वीर ही आपके सामने रहती है। तो आपको कल सुबह पता चलेगा कि आल इज वेल, हम अभी ही आपको बता देते है कि आल इज वेल…..!
अब तो आम इंसान भी कह सकता है कि करप्शन की जड़े बड़ी मजबूत है ‘इति सिद्धम।’ हमारे एक मित्र है पंडित जी, अक्सर कहते है कि ‘प्रत्यक्षम किम प्रमाणं’। ये बात तो वीसी साहब लागू होती है इस मुद्दे पर कि इसका भी प्रमाण चाहिए अभी और। अगर चाहिए तो फिर आप भी तीन बार जोर जोर से हां हां हां करके हंस सकते है। मगर एक कडवी सच्चाई बताते है वीसी साहब….! आपका चाबुक और सख्ती कमज़ोर तबके पर चलती है। कोई कमज़ोर तबका होता तो अब तक पीला फीता लग जाता। पूरा महकमा आपका मौके पर खड़ा होता। मगर हकीकत ये है कि तबका कमज़ोर नही है ये, धनबल, बाहुबल और तो और सोर्स में भी मजबूत है। तो यहाँ आपका चाबुक नही चलेगा। ‘इति सिद्धम और प्रत्यक्षम किम प्रमाणंम’
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