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बनारस के चमकऊआ नेतागिरी पर तारिक आज़मी की मोरबतियां: फलाने कहिन ‘अध्यक्ष जी इनसे मिलिए, ये पंचर बनाते है’, बोले अध्यक्ष ‘ईहा काहे लाये, जिसकी पंचर है उहा ले जाओ’, प्रचंड बेइज्जती साहब…..!

तारिक आज़मी

डेस्क: वैसे हमारे काका भले तनिक तुनुक मिजाज है। मगर उनकी बतिया बड़ी काम की होती है। एक दिना अइसही पनारू च के लड़का की चमक चांदनी वाली नेतागिरी पर ओको समझा रहे थे कि ‘देख बबुआ ई चमकउआ नेतागिरी से बढ़िया है कि समाज सेवा किया कर। जब देखा तब ससुर सरकारी अस्पताल दिखाई देवत हो। तनिक ढंग की समाज सेवा कर लिया करो। का पंचायत पाले रहते हो।’

दरअसल, पनारू च का बेटवा चौकस आजकल नेतागिरी कर रहा है। युवा ह्रदय सम्राट बने की तमन्ना पाले हुवे जब देखो तब सरकारी अस्पताल में फर्जिये का भौकाल दिए रहता है। मोहल्ला के लडकन तो ओके अस्पताल वाला नेता कहे लगे है। एक दिन तो हम खुद देखा कि डाक्टर के सामने बैठ कर बड़ी बड़ी डींग फेके पड़ा है। डींग ऐसी लम्बी चौड़ी कि मैं पीछे खड़ा खड़ा उसकी बाते सुनकर बेहोश हो गया होता, वो तो वक्त पर याद आ गया कि अस्पताल में है। नेतागिरी की चमकान के लिए डाक्टर को भौकाल टाइट कर रहा था कि ‘परसों रात को हमारी बातचीत मंत्री जी से फोन पर हो रही थी, मैंने स्वास्थ्य मुद्दा उठाया उनसे और कहा है कि जल्द ही मैं आपको पूरी डिटेल दूंगा।’ भाई कसम से मैं तो उसकी बात सुनकर गिरने वाला था तब तक याद आया कि अरे अस्पताल है, कुछ होगा नही दो चार इंजेक्शन ठोक देंगे डाक्टर लोंग, फालतू का तीन चार छेद बढ़ जायेगा शरीर में।

बहरहाल साहब,ये नेतागिरी है। चमकान जरुरी होती है ऐसा पनारू च का लड़का हमसे कहा था। वैसे क्षेत्रीय सामाजिक स्थिति एकदम ऐसी है कि अगर खुद पार्षद का चुनाव लडे तो घर के 13 वोट में से उसको मिलेगा सिर्फ 7-8 वोट और खुदही परेशान रहेगा कि किसने घर में गद्दारी किया और मुझे वोट नही दिया। मगर चमकान ऐसी कि गुरु पुरे शहर के वोट का ठेकेदार बन जाता है। विधायक को 40-50 हज़ार वोट दिलवाने लगेगा और सांसद को तो लाख वोट में दाग नही। एक बार हम ही कह दिया था कि ‘यार तुम खुद पार्षद का चुनाव क्यों नही लड़ जाते हो, इतने वोट के मालिक हो, कम से कम पार्षद तो बन जाओगे।’ तो कहने लगा ‘भईया आप समझते नही है, हमको सांसद बनना है, अध्यक्ष जी टिकट दे रहे थे इसी बार, मगर गठबन्धन के पाले में सीट चली गई।’ भाई कसम से उसकी बात सुनकर तो मैं इतना डर गया कि तुरंते बाबा झींगाटू से जंतर लेकर तीन जंतर एक साथ पहना है। झींगाटू बाबा का जंतर बाजू पर लगाने से चमक नेता लोंग नज़दीक नही आते है ऐसा बाबा का दावा है।

वैसे भौकाली नेताओं की अपने शहर में कमी नही है। एक हमारे सूत्र है। बड़े तगड़े वाले एक पार्टी के अन्दर के सूत्र है, उन्होंने ऐसे ही एक भौकाल की लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज़ दे डाला पिछले सप्ताह की। खबर कुछ इस प्रकार से है कि एक अंतर्राष्ट्रीय नेता अपने बनारस के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने राजधानी पहुच गए। खुद अकेले जाने में खर्चा अधिक हो जायेगा इसीलिए अपने साथ तीन लोंग और ले गए कि आओ अध्यक्ष जी से मिलवाता हु। सूत्र ने लखनऊ में हुवे पुरे घटनाक्रम को जैसे बताया वैसे आपको बताता चलता हु। समस्त घटनाए वैसे शहर में चर्चा का केंद्र बनी है, मगर फिर भी साफ़ साफ़ कहता हु कि हमारे करारे सूत्र ने पूरी घटना की रनिंग कमेंट्री किया है। जिसको सुन कर आप अपनी हंसी नही रोक पायेगे।

पार्टी के अन्दर के सूत्र ने बताया कि नेता जी तीन लोंग को लेकर लखनऊ अध्यक्ष जी से मिलने गये थे। शायद वायदा रहा होगा कि ‘तुम लोंग को अध्यक्ष जी से मिल्वायेगे, हमारी तगड़ी वाली जान पहचान है उनसे’। मगर अध्यक्ष जी का कार्यक्रम बड़ा व्यस्त था तो चंद लोग से ही मिलने वाले थे वह। इसी दरमियान बनारस के एक कद्दावर नेता ढिमकाने अपने युवा साथियों के साथ गए थे। वैसे ढिमकाने का अध्यक्ष जी से कर्रा वाला सम्बन्ध है तो वह अपने साथियों के साथ अन्दर जा रहे थे। मगर फलाने को सुरक्षा कर्मियों ने गर्दनिया पासपोर्ट दे दिया था कि चलो निकल लो। अब फलाने को अपनी प्रचंड बेइज्जती समझ में आई तभी ढिमकाने पर उनकी नज़र गई और फलाने ने ढिमकाने को आवाज देकर कहा ‘भाई हम भी है टीम में।’

अब ढिमकाने को करना है शहर की सियासत तो वह न चाहते हुवे भी फलाने को अपने साथ ढुलका लिए कि आ जाओ भाई तुमहू। ढिमकाने के बल पर अन्दर गए फलाने को लगा कि चल भाई प्रचंड बेइज्जती से तो बच गये। मगर अध्यक्ष जी ने फलाने की शक्ल देखते के साथ ही ले लिया आड़े हाथ। बोले ‘क्या फलाने तुम कैसे….!, ढिमकाने की जी हुजूरी करके आ गये होगे।’ अब फलाने ने खीसे निपोर दिया और अपने साथ ले गए तीन लोंगो के बीच खुद की बचाने के लिए एक का परिचय देते हुवे कहा ‘अध्यक्ष जी इनसे मिलिए ये पंचर बनाते है।’ अब अध्यक्ष जी ठहरे विदेश के पढ़े लिखे। उ टपाक से बोल पड़े कि ‘पंचर बनाते है तो यहाँ क्यों लाये, जिसकी पंचर हो उसके पास ले जाओ।’ इसी के साथ पूरा हाल ठहाको से गूंज उठा और फलाने को प्रचंड बेइज्जती महसूस हुई। पहले गर्दनिया पासपोर्ट, फिर ढिमकाने के बल पर अन्दर भी गए तो ये ‘गजब बेइज्जती’

तारिक आज़मी
प्रधान सम्पादक

अब फलाने ने इस मामले को वही फ़्लश कर देने में कोई कसर नही छोड़ी और साथ गए सबको समझा दिया कि इज्जत का जो सुसुलेदर हुआ है, उसको यही लखनऊ में ही फ़्लश कर डालो। सब तैयार भी हो गये, मगर उफ़ ये आज कल के लड़के। इस सुसुलेदर को फ्लश करने के वायदे के बावजूद भी पुरे इलाके में आकर रायता फैला दिए। अब फलाने है कि लोंग से पूछते फिर रहे है कि ‘अमा सुना है कि फ्लन्वा से तुम हमारी बड़ी तारीफ कर रहे थे।’ जय हो गुरु नेतागिरी। इस घटना को जब हमारे सूत्र ने बताया तो हम भी कुछ लम्हों के लिए अपनी हंसी नही रोक पाए थे। मगर भाई एक बात तो है कि ‘सियासत में चमकान जरुरी है, चमकान न हो तो सियासत बेकार है।’ जय हो……!

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