ए0 जावेद
वाराणसी: उत्तर प्रदेश पुलिस अपनी छवि पर दाग न लगे इसको लेकर प्रयासरत रहती है। एंटी करप्शन भी कई गिरफ्तारियां करके वर्दीधारियों को ही जेल भेज चूका है। मगर फिर भी विभाग का ये ‘सिस्टम’ है जो ख़त्म होने का नाम ही नही ले रहा है। ख़ास तौर पर विभाग को दाग लगाने वाले चेहरे जो कभी थाने से भगाये जा चुके है, और उनका प्रवेश वर्जित है का बोर्ड थाने के बाहर लगा हुआ है, उनकी पैठ दुबारा बढती हुई दिखाई दे रही है।
ताज़ा मामला तब चर्चा का केंद्र बना जब दरोगा जी खुद फ़ूड इस्पेक्टर की भूमिका में आते हुवे दालमंडी स्थित मुसाफिर खाने के बगल की गली में 70 साल पुरानी अकबर नेहारी वाले की दूकान पर अपने साथ कपडा मार्किट के कुख्यात दलाल के साथ पहुचे और अकबर नेहारी के पुत्र सलीम से पहले तो नेहारी की पूरी रेसिपी पूछने लगे। मौके पर खड़े हमारे एक सूत्र ने बताया कि दरोगा जी नेहारी और बिरयानी की रेसिपी ऐसे पूछ रहे थे जैसे लग रहा था कि कल ही वह खुद भी एक नेहारी और बिरयानी की दूकान खोलेंगे।
हमारे सूत्र ने अपने कानो से सुना कि दरोगा जी ने सलीम को थाने पर आकर मिल लेने को कहा। दरोगा जी ‘सिस्टम’ सेट करने में अपने साथ लेकर चल रहे प्रचंड दलाल के साथ इतना व्यस्त थे कि अकबर नेहारी के सामने स्थित एक पकौड़ी वाले से भी ‘थाने पर मुलाकात कर लेने’ का न्योता दे डाला। मगर दोनों दुकानदार थाने गए ही नही। सलीम ने हमसे बात करते हुवे बताया कि आज सुबह ही ‘दरोगा जी के साथ घूम रहे कपडा मार्किट के प्रचंड दलाल’ ने उनसे कहा कि चलना मेरे साथ थाने पर ‘सिस्टम’ सेट करवा देंगे। वही पकौड़ी वाले से 100 ग्राम पकौड़ी खाते हुवे उसको भी ‘सिस्टम’ सेट करवाने का न्योता दे डाला।
मगर हुआ कुछ इस तरह कि पकौड़ी वाला और सलीम नेहारी ‘सिस्टम’ में आने के लिए थाने गए ही नही। अब सूत्र बताते है कि ‘सिस्टम’ में नही आने से नाराज़ दरोगा जी खुद सलीम नेहारी की दूकान पर पहुच गए और फ़ूड लाइसेंस न होने की बात कहकर कल से दूकान न खोलने की चेतावनी दे डाला है। इस बात की पुष्टि सलीम नेहारी ने भी हमसे बातचीत में किया है। जब इस सम्बन्ध में हमने चौकी इंचार्ज कपडा मार्किट से फोन पर बात किया तो उन्होंने दूकान बंद करवाने का अपना संकल्प यह कह कर दोहराया कि ‘आपने मिलने को कहा था मिले नही।’
अब सवाल ये उठता है कि क्या इस ‘सिस्टम’ जिस पर पूर्ववर्ती थाना प्रभारियो, और एसीपी द्वारा लगाम बड़ी मशक्कत के बाद लगाया गया था, दुबारा चौकी इंचार्ज द्वारा शुरू करवा दिया जाना पुलिस की छवि पर बदनुमा दाग नही है? आखिर जब खाद्य विभाग किसी कार्य हेतु अधिकृत है तो फिर उसके हिस्से का काम चौकी इंचार्ज कपडा मार्किट करेगे? या फिर उनके इलाके में हर दुकाने ‘सिस्टम’ में लाने की कवायद में पहली सीढ़ी ये है? क्या पकौड़ी वालो को भी चौकी इंचार्ज महेंद्र कुमार, उनके कारखास रवि और कपडा मार्किट के प्रचंड दलाल के ‘सिस्टम में आना पड़ेगा?
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