तारिक आज़मी
वाराणसी: वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष शहर के अवैध निर्माण पर सख्त होने की बाते और दावे करते रहते है। मगर दावो की हकीकत क्या है यह किसी से छिपा नही है। होने को तो बम्पर कार्यवाही की पूरी फाइल बनी हुई पड़ी है। मगर कागजों से हुई इस कार्यवाही को रंगीन कागजों से दबाया भी जाता है ऐसा हमारे विभाग में मौजूद सूत्र बताते है।
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर कैसे ऐसे मुख्य मार्ग पर सम्भव है। तो यह संभव हो गया और सभी सिर्फ खुली आँखों से देख रहे है। जब स्थानीय जेई और जोनल की आँखों पर रंगीन कागजों का चश्मा लगा हो तो सब कुछ होना संभव है। रंगीन चश्मे के बाद आँखे खुली रहती है, बस देखना कुछ नही रहता है। कान एकदम पूरी तरह खुले रहते है, बस सुनना कुछ नही है। हाथ है, मगर हाथो के कलम की सियाही खामोश रहे। तनिक बोली तो बमचक हो जायेगा।
अब मौजूदा नवय्यत जानकार विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष साहब के दावो की असली नवय्यत जान सकते है। होना क्या है? कुछ ख़ास नही, हो सकता है कि कल सुबह होने पर वाराणसी विकास प्राधिकरण में थोड़ी चर्चा उठे। थोड़ी देर के लिए बाते हो। थोडा जेई साहब मौके पर शायद आये और फिर वह बिल्डर को फोन करे और फिर ‘आल इज वेल’ लिख कर इस बात को साबित कर दे कि फाइलो में शहर के मौसम अभी गुलाबी है। सब कुछ फिर पहले जैसा होगा।
बेशक अगर ये संपत्ति आम नागरिक की होती, या फिर कोई गरीब इसके ऊपर अपने झोपड़े का निर्माण कर रहा होता तो क़यामत क्या होती है यह वाराणसी विकास प्राधिकरण दिखा देता। नोटिस दर नोटिस, सील और फिर ज़रूरत पड़ने पर भारी जुर्माना आदि तमाम कार्यवाही हो जाती। मगर यहाँ नाम सतुआ बाबा का है, काम दमदार, शानदार और समझदार बिल्डर का है, तो ‘आल इज वेल’ कहना ही पड़ता है। इस हकीकत को जानकार भले वीसी साहब कुछ भी कहे, मगर साहब सच बताये आपको……!, आपकी सख्ती गरीबो और आम नागरिको के लिए है। यहाँ आपकी सख्ती खुद सॉफ्ट हो जाएगी।
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