संजय ठाकुर
आजमगढ़: ऑनलाइन बेटिंग एप के ज़रिये अधिक पैसा कमाने का लालच देकर लोगो को ठगने वाले एक अंतर्राष्ट्रीय साइबर ठग गैंग का आज़मगढ़ पुलिस ने खुलासा करते हुवे 11 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। ये सभी अभियुक्त अलग अलग राज्यों से जुड़े हुवे है। अभी तक की तफ्तीश में निकल कर सामने जितने धनराशि की ठगी आई है, उसको जानकर पुलिस भी चौक उठी है।
पुलिस अधीक्षक हेमराज मीणा के मुताबिक़ साइबर क्राइम थाना आज़मगढ़ के ऑनलाइन हेल्पलाइन पर शिकायत मिली थी। यह शिकायत एक लड़की ने की थी। इस आधार पर इनके लोकेशन का पता लगाया गया। उसके बाद पुलिस ने 25 नवंबर को रैदोपुर थाना स्थित एक घर से 11 अभियुक्तों को गिरफ़्तार किया गया। पुलिस के मुताबिक़, 169 बैंक खातों में करीब दो करोड़ रुपये फ़्रीज़ किए गए हैं। पैंतीस लाख रुपये का सामान बरामद किया गया है। इनमें तीन लाख 40 हज़ार नक़द, 51 मोबाइल फ़ोन, छह लैपटॉप, 61 एटीएम कार्ड, 56 बैंक पासबुक, 19 सिम कार्ड, सात चेक बुक, तीन आधार कार्ड, एक इंटरनेट राउटर शामिल हैं।
पुलिस के मुताबिक़ गिरफ्तार अभियुक्त युवा हैं। ज्यादातर की उम्र 30 साल से कम है। कई तो 20 साल से भी कम उम्र के हैं। पुलिस के मुताबिक, ये आरोपी लालच देकर लोगों का गेमिंग-बेटिंग ऐप पर लॉगिन आईडी बनाते थे। इसके बाद गेम के ज़रिए ठगी करते थे। फिर उनका सारा पैसा निकालकर फ़र्ज़ी खातों और फ़र्ज़ी मोबाइलों के ज़रिए ट्रांसफ़र कर लेते थे। पुलिस के मुताबिक आरोपियों ने एक कमरे में ही पूरी व्यवस्था बना रखी थी, यहाँ अभी कुल 13 लोग काम कर रहे थे जो लोग यहाँ काम करते थे उनको पहले बाक़ायदा ट्रेनिंग दी गई थी।
इनके पास आधुनिक लैपटॉप और मोबाइल फ़ोन थे। एक बार में एक ही फ़ोन नंबर का इस्तेमाल किया जाता था। कमरा कॉल सेंटर के तरीक़े से काम करता था। हालाँकि, यह ऑनलाइन कोचिंग के नाम पर किराए पर लिया गया था। अभियुक्तों द्वारा विभिन्न व्हाट्सऐप ग्रुप के माध्यम से लोगों से बात की जाती थी। इसके बाद, ये उनको ज़्यादा फ़ायदा का लालच देकर पैसा लगवाते थे। पुलिस का कहना है कि पैसा लगाने वाले को पहले जिताया जाता था। इसके बाद उनसे और पैसा लगाने के लिए कहा जाता था। उनकी जगह का पता न चल पाए, इसलिए वे जिस फ़ोन नम्बर का इस्तेमाल करते थे, वह अंतरराष्ट्रीय होता था।
लोग लालच में आकर और पैसा लगाते थे। ऐसे लोगों को रियायत भी दी जाती थी, जो और लोगों को अपने साथ जोड़ते थे। जैसे ही किसी ने ज़्यादा पैसा लगाया, उसके बाद ये लोग उस सिम और मोबाइल दोनों का इस्तेमाल नहीं करते थे। उस आईडी को भी ब्लॉक कर देते थे। रोज़ाना पैसा निकाल कर गिरोह के लोग आपस में बाँट लेते थे। आज़मगढ़ के पुलिस अधीक्षक हेमराज मीणा ने मीडिया को बताया कि यह संगठित गैंग ऑनलाइन बेटिंग ऐप के ज़रिए ठगी करते थे।
बताया कि ये इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप, फ़ेसबुक और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर विज्ञापन देते थे और लोगों को फँसाते थे। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि इस संगठित गिरोह के सदस्य कई व्हाट्सऐप ग्रुप के ज़रिए भारत के अलावा श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे देशों में अपने सदस्यों से जुड़े थे। इनके बीच ठगी के पैसे का आदान-प्रदान भी होता था। इन सब के ख़िलाफ़ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 318(4), 319(2), 336(3), 338, 340(2) और सूचना प्रोद्यौगिकी (संशोधन) अधिनियम की धारा 66सी, 66डी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
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