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जलता मणिपुर: भीड़ ने सीएम के दामाद का घर फुका, 3 मंत्रियो और 6 विधायको के घर पर भीड़ का हमला, 5 जिलो में लगा कर्फ्यू

माही अंसारी

डेस्क: मणिपुर एक बार फिर हिंसा की आग में जल रहा है। जिरीबाम जिले की एक नदी से 6 लापता लोगों के शवों के मिलने के कुछ ही घंटों बाद, राज्य में हालात बेकाबू हो गए हैं। प्रदर्शनकारियों ने तीन मंत्रियों और छह विधायकों के घरों पर हमला बोल दिया। आज हम आपको बताएंगे कि इस बार मणिपुर में क्या हुआ, क्यों हुआ, और इस हिंसा के पीछे असली वजह क्या है।

मामला तब और गरमाया जब जिरीबाम की एक नदी से छह लोगों के शव बरामद हुए। इनमें तीन महिलाएं और तीन बच्चे थे, जो कुछ दिन पहले लापता हो गए थे। लेकिन ये सिर्फ एक घटना नहीं है, ये पिछले कई महीनों से जारी हिंसा का एक और अध्याय है। दरअसल, इस बार मामला उस वक्त बिगड़ गया, जब कुकी समुदाय के चरमपंथियों ने जिरीबाम में एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया। इसके जवाब में सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई में 11 लोगो की मौत हो गई। इसके बाद से हालात काबू में नहीं हैं।

लोगों का गुस्सा भड़क उठा। प्रदर्शनकारियों ने मणिपुर के तीन बड़े मंत्रियों – स्वास्थ्य मंत्री सापम रंजन, खपत मंत्री एल सुसींद्रो सिंह, और शहरी विकास मंत्री वाई खेमचंद के घरों पर हमला कर दिया। यहां तक कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के दामाद, बीजेपी विधायक आरके इमो के घर को भी नहीं बख्शा गया। भीड़ ने इन घरों को आग के हवाले कर दिया। आंसू गैस के गोलों की आवाजें, जलते टायर और हिंसा से लिपटी सड़कें। मणिपुर के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। इंफाल पूर्व और पश्चिम, बिष्णुपुर, थौबल और कचिंग जिलों में इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं।

मणिपुर में ये हिंसा क्यों हो रही है? असल में मामला एक पुरानी मांग को लेकर है। मैतेई समुदाय ने मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि उन्हें जनजाति का दर्जा मिले। मैतेई समुदाय का कहना है कि 1949 में जब मणिपुर का भारत में विलय हुआ था, तब उन्हें जनजाति का दर्जा मिला हुआ था। मणिपुर हाई कोर्ट ने भी राज्य सरकार को सिफारिश की थी कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति यानी एसटी में शामिल करने पर विचार किया जाए। इसी फैसले के खिलाफ कुकी समुदाय ने प्रदर्शन शुरू कर दिए थे, और तभी से हिंसा की आग भड़की हुई है।

लेकिन सवाल ये है कि ये हिंसा कब रुकेगी? मणिपुर में जो हालात हैं, वो बहुत ही नाजुक हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि आर्म्स फ़ोर्स स्पेशल पॉवर एक्ट को हटाया जाए। COCOMI नाम के संगठन ने तो 24 घंटों के भीतर उग्रवादियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की मांग कर दी है। AFSPA को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है। मणिपुर में दोबारा इस कानून को लागू किया गया है, जो सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार देता है। लेकिन इससे स्थानीय लोगों का गुस्सा और बढ़ रहा है। आखिर ये सिलसिला कब थमेगा? मणिपुर के लोग कब चैन से रह पाएंगे? इन सवालों का जवाब ढूंढने की कोशिश जारी है, लेकिन फिलहाल हालात बेकाबू हैं। राज्य में शांति कैसे लौटेगी, इसका फैसला आने वाले दिनों में होगा।

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