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एक बार फिर ‘टेबल वर्क’ साबित हुआ एग्जिट पोल, झारखण्ड में ‘इंडिया गठबंधन’ ने ‘एनडीए’ का किया सफाया, तो वही महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन का हुआ सुपडा साफ़

तारिक आज़मी

डेस्क: झारखण्ड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावो के नतीजो का रुझान सामने आने के बाद एक बार फिर साबित हुआ है कि तमाम एग्जिट पोल महज़ एक ‘टेबल वर्क’ ही रहे है। जहा लगभग सभी एग्जिट पोल दोनों राज्यों में कांटो की टक्कर के बीच भाजपा का पलड़ा भारी दिखा रहे थे। वही नतीजो से मिल रहे रुझानो के ऊपर अगर ध्यान दे तो झारखण्ड में भाजपा के एनडीए को तगड़ा झटका लगा है। जबकि महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन का सुपडा साफ़ हो गया है।

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पहले झारखण्ड की बात करे तो झारखंड में बीजेपी के एनडीए और जेएमएम के इंडिया गठबंधन के बीच मुकाबला है। बीजेपी ज़्यादातर सीटों पर खुद चुनाव लड़ रही है। पार्टी ने अपने गठबंधन सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन को 10 सीटें दी हैं। वहीं इंडिया गठबंधन की तरफ़ से जेएमएम और कांग्रेस मुख्य दावेदार हैं। 2019 के चुनाव में जेएमएम राज्य की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। उसने कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।

इस बार अभी तक आये रुझानो के मुताबिक झारखण्ड में एनडीए को ज़बरदस्त झटका लगा है। यहाँ इंडिया गठबंधन के पाले में 50 सीट आती दिखाई दे रही है। वही एनडीए को 29 सीट पर बढ़त बनाये हुवे है। भाजपा को ये एक तगड़ा झटका लगा है। क्योकि भाजपा ने झारखण्ड में पूरी ताकत झोक कर यहाँ सत्ता हासिल करना चाहती है। मगर आदिवासी और मुस्लिम मतों का रुझान इंडिया गठबंधन के पाले में जाता दिखाई दिया और झारखण्ड में सोरेन सरकार की वापसी लगभग निश्चित हो गई है।

वही बात करे महाराष्ट्र की तो महाराष्ट्र में एनडीए ने इंडिया गठबंधन का सुपडा ही लगभग साफ़ कर दिया है। सभी एग्जिट पोल को मुह के बल गिराते हुवे एनडीए अब तक 217 सीट लाते हुवे दिखाई दे रहा है। जहा भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वही इंडिया गठबंधन को तेज़ का झटका लगा है और वह महज़ 58 सीट पर बढ़त बनाये हुवे है। नतीजो की अगर बात करे तो अब तक की मतगणना यह बताती है कि बहुत ज्यादा इन नतीजो में फेरबदल होते नहीं देखा जायेगा। स्पष्ट बहुमत के साथ एनडीए सरकार बना रही है। वही इंडिया गठबंधन तक मजबूत विपक्ष की भी भूमिका में आता नही दिखाई दे रहा है।

शायद महाराष्ट्र ने एकनाथ शिंदे को बाबा साहब ठाकरे के वारिस मान कर स्वीकार कर लिया है। वही उद्धव ठाकरे की शिवसेना को नकार दिया है। दूसरी तरफ शरद पवार को भी जनता ने नकारते हुवे अजीत पवार के साथ जनता दिखाई दी है। इन नतीजो ने कुछ साबित किया या नही किया बल्कि एक बात साबित किया कि एग्जिट पोल महज़ टेबल वर्क ही है।

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