फारुख हुसैन
डेस्क: डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस को हरा कर अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत लिया है। सियासत की गर्त में जाने के बाद ट्रंप ने पुनर्वापसी किया है। 78 साल के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप व्हाइट हाउस में एक ऐसे शख़्स के तौर पर वापसी करेंगे, जो राजनीतिक रूप से अभेद्य हो। इस बार उनके पास अपना विस्तारित एजेंडा होगा और वफ़ादारों की लंबी चौड़ी फौज भी साथ होगी।
राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप का पहला कार्यकाल अराजकता और आलोचना के साथ ख़त्म हुआ था। यहां तक कि उनकी अपनी रिपब्लिकन पार्टी के भी कई नेताओं ने ट्रंप की आलोचना की थी। चार साल पहले डोनाल्ड ट्रंप एक हारी हुई शख़्सियत नज़र आ रहे थे। डेमोक्रेटिक पार्टी के उनके प्रतिद्वंद्वी बाइडन ने साल 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें बड़े अंतर के साथ शिकस्त दी थी। अदालतों ने उस चुनाव के नतीजों को चुनौती देने की ट्रंप की कोशिशों को ख़ारिज कर दिया था।
आख़िरी दांव के तौर पर उन्होंने अपने समर्थकों की एक रैली बुलाई, जिसमें उन्होंने समर्थकों से अमेरिकी संसद भवन पर उस वक़्त धावा बोलने के लिए कहा, जब वहाँ बैठे सांसद राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर प्रामाणिकता की मुहर लगा रहे थे। ट्रंप समर्थकों की भीड़ ने देश के संसद भवन पर इतना भयानक और हिंसक हमला बोला कि इमारत के भीतर मौजूद लोगों को अपनी हिफ़ाज़त के लिए इधर-उधर भागने को मजबूर होना पड़ा।
ट्रंप समर्थक भीड़ के इस हमले में सैकड़ों सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। इसके विरोध में ट्रंप प्रशासन के कई अधिकारियों ने अपने पद और उनका साथ छोड़ दिया। इनमें शिक्षा मंत्री बेट्सी डेवोस और परिवहन मंत्री इलेन चाओ शामिल थे। बेट्सी ने राष्ट्रपति को भेजे अपने इस्तीफ़े में लिखा कि, ‘इसमें कोई शक नहीं कि आपकी नाटकीय बयानबाज़ी से ही ये हालात बने हैं और ये मेरे लिए फ़ैसले की घड़ी है।’ यहां तक कि साउथ कैरोलाइना से रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर और ट्रंप के क़रीबी साथी रहे लिंडसे ग्राहम ने भी तत्कालीन राष्ट्रपति का साथ छोड़ दिया था।
ट्रंप से दूरी बनाने की ये मुहिम अमेरिका के उद्योग जगत तक फैल गई। अमेरिकन एक्सप्रेस, माइक्रोसॉफ्ट, नाइकी और वालग्रीन्स जैसी दर्जनों बड़ी कंपनियों ने एलान किया कि वो रिपब्लिकन पार्टी को अपना समर्थन रोक रहे हैं, क्योंकि पार्टी ने साल 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को चुनौती दी है। चुनाव में साफ़ तौर पर मिली शिकस्त और उसके बाद अमेरिकी संसद में अराजकता के मंज़र के बाद मीडिया में कुछ लोगों ने तो पक्की राय ज़ाहिर करते हुए ये तक कह दिया था कि अब अमेरिका की राजनीति में ट्रंप की वापसी के दरवाज़े बंद हो चुके हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स में जनवरी 2021 में प्रकाशित एक लेख की सबहेडलाइन कुछ यूं थी: ‘एक भयानक प्रयोग अब ख़त्म हो गया है।’ इस लेख की हेडलाइन तो और भी स्पष्ट थी: ‘राष्ट्रपति डोनल्ड जे ट्रंप: द एंड।’ राष्ट्रपति चुनाव के लिए ट्रंप के अभियान की शुरुआत ऐसी ख़राब रही कि लगा कि उन्होंने ग़लत वक़्त पर इसका आग़ाज़ किया था। मध्यावधि चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के ख़राब प्रदर्शन के ठीक बाद ट्रंप ने जब राष्ट्रपति चुनाव अभियान की शुरुआत की तो बहुत से लोगों ने सवाल उठाया कि क्या पूर्व राष्ट्रपति की राजनीतिक समझदारी समाप्त हो चुकी है।
मार-ए-लागो के जिस आरामदेह माहौल में ट्रंप ने अपनी उम्मीदवारी का एलान किया, उससे ऐसा लगा कि उनका चुनाव अभियान मौजूदा राजनीतिक सच्चाइयों से बिल्कुल बेख़बर था। इसके बाद ट्रंप जब भी चर्चा में आए तो ग़लत वजहों से। मार-ए-लागो में एक प्रमुख गोरे राष्ट्रवादी निक फुएंटेस के साथ डिनर करना हो या फिर सोशल मीडिया पर ये लिखना हो कि अमेरिका के संविधान के नियम ‘ख़त्म कर दिए’ जाने चाहिए, ताकि उन्हें फिर से राष्ट्रपति पद पर बिठाया जा सके। मेरेडिथ मैक्ग्रॉ कहती हैं , ‘नए साल के जश्न के बाद का दौर ट्रंप के अभियान के लिए बेहद स्याह रहा था।’ रिपब्लिकन पार्टी के नेता ट्रंप को लेकर आशंकित थे।
ट्रंप की टीम को ऐसे ऐसे तबक़ों से सहारा मिला, जहां से उम्मीद ही नहीं थी। न्यूयॉर्क, जॉर्जिया और वॉशिंगटन डीसी के न्याय विभाग ने भी उन्हें सहारा दिया। अगस्त 2022 में एफबीआई ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील दस्तावेज़ों की तलाश में मार-ए-लागो में छापा मारा था। वहीं, साल 2023 में ट्रंप को कई मामलों में अदालत ने आरोपी बनाया था। ऐसे में जब रिपब्लिकन पार्टी के भीतर राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार बनने की होड़ चल रही थी, तभी पूर्व राष्ट्रपति के आपराधिक कृत्य और उनको होने वाली सज़ा की चर्चा भी जज़ोर पकड़ रही थी। अगस्त में अटलांटा की जेल में ली गई ट्रंप की फोटो को बहुत जल्दी ही उनके चुनाव अभियान की प्रचार सामग्री में लगाकर प्रचारित किया जाने लगा।
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