मो0 कुमेल
डेस्क: ज्ञानवापी मस्जिद के मुताल्लिक एक फैसले में पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड के एक निर्णय ने अचानक ही मस्जिदों और दरगाहो पर विवाद उत्पन्न करने के वह रास्ते खोल दिए जिसको संसद द्वारा पास कानून ‘प्लेसेस आफ वरशिप एक्ट 1991’ ने बंद कर दिया था। इसके बाद मथुरा की शाही ईदगाह फिर संभल की जामा मस्जिद को विवादों में लाकर खड़ा कर दिया था।
इस बीच सांसद असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रिया सामने आई है। ओवैसी ने अजमेर की दरगाह को लेकर कोर्ट के नोटिस पर कहा, ‘सुल्तान-ए-हिन्द ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (RA) भारत के मुसलमानों के सबसे अहम औलिया इकराम में से एक हैं। उनके आस्तान पर सदियों से लोग जा रहे हैं और जाते रहेंगे इंशाअल्लाह। कई राजा, महाराजा, शहंशाह, आए और चले गये, लेकिन ख्वाजा अजमेरी का आस्तान आज भी आबाद है।’
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