संजय ठाकुर
डेस्क: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने एक मत से फैसला देते हुवे मंगलवार को कहा है कि सभी निजी संपत्ति को सरकार नहीं ले सकती है।
बेंच ने साल 1978 में दिए जस्टिस कृष्ण अय्यर के उस फ़ैसले को खारिज़ कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को राज्य सरकारें अधिग्रहण कर सकती हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि पुराना फ़ैसला ख़ास आर्थिक और समाजवादी विचारधारा से प्रेरित था। हालांकि राज्य सरकारें उन संसाधनों पर दावा कर सकती हैं, जिन्हें समुदाय, सार्वजनिक भलाई के लिए रख रहा है।
आमतौर पर 9 जजों की बेंच बहुत कम ही देखने को मिलती है। आज तक महज़ 17 मामलों में ही ऐसा देखा गया है। ऐसी बेंच आमतौर पर संवैधानिक महत्व से जुड़े सवालों पर फ़ैसला लेने के लिए बनाई जाती है। आज़ादी के बाद से ही निजी संपत्ति और उसके अधिग्रहण पर विवाद होता आया है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान यह मुद्दा काफ़ी गरमा गया था। जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी संपत्ति का अधिग्रहण कर बाँटना चाहती है। हालांकि कांग्रेस के घोषणापत्र में ऐसा कोई दावा नहीं किया गया था।
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