ईदुल अमीन
डेस्क: असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा की भाजपा सरकार ने असम में सार्वजनिक रूप से बीफ बैन करने के बाद इस फैसले का मेघालय के दक्षिण शिलांग सीट से भाजपा विधायक सनबोर शुल्लई ने इस फैसले का खुला विरोध किया है। उनकी एक प्रतिक्रिया खूब वायरल है। इसमें वो कह रहे हैं मेघालय में लोग अपनी पसंद से कुछ भी खा सकते हैं, सांप, बीफ या बिच्छू। मेघालय असम के पड़ोस में है और वहां भी भाजपा के समर्थन वाली सरकार है।
मेघालय में भाजपा की सहयोगी और राज्य की मुख्य सत्तारूढ़ पार्टी ‘नेशनल पीपुल्स पार्टी’ के मंत्री राक्कम संगमा ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने हल्के अंदाज में कहा है कि मेघालय को इस बात का फायदा उठाना चाहिए। मेघालय के बर्नीहाट, खानापारा इलाके में अच्छे होटल खोलने चाहिए और अच्छी बीफ करी परोसनी चाहिए। ताकि असम के लोग मेघालय आएं, अच्छा खाएं और वापस जाएं। इसी के साथ सरमा के बीफ बैन वाले फैसले को लागू करने में आने वाली कठिनाइयों की बात होने लगी है। क्योंकि असम के कई क्षेत्रों में, खासकर आदिवासी क्षेत्रों में बीफ का आम तौर पर सेवन किया जाता है। विशेषकर त्योहारों के दौरान।
असम के मुख्यमंत्री ने ‘असम मवेशी संरक्षण अधिनियम 2021’ के तहत, रेस्टोरेंट, सामुदायिक समारोहों और सार्वजिनक जगहों पर बीफ परोसने और खाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। जानकार बता रहे हैं कि ये जितना प्रशासनिक फैसला था उतना ही राजनीतिक। सरमा ने इस फैसले के जरिए कांग्रेस को घेरने की कोशिश की है। दरअसल, नवंबर महीने में असम में 5 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव हुए थे। भाजपा और उनके सहयोगी दलों को सभी 5 सीटों पर जीत मिली।
इसके बाद कांग्रेस के कुछ नेताओं ने ये आरोप लगाया कि सरमा और उनकी पार्टी ने चुनाव जीतने के लिए मुस्लिम बहुल समागुरी इलाके में वोटर्स के बीच बीफ बांटे था। जिस पर सीएम हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि कांग्रेस भी बीफ को गलत मान रही है, इसलिए वो बीफ बैन करके खुश हैं। दरअसल, क्रिसमस पा आ रहा है। ऐसे में असम के डिफू क्षेत्र के दिग्गज आदिवासी नेता और पूर्व राज्य मंत्री होलीराम तेरांग ने भी इस फैसले पर सवाल उठाया है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा है कि ‘कार्बी और डिमासास समुदाय के लोग बीफ नहीं खाते हैं। लेकिन कई नागा और कुकी समुदाय के लोग बीफ खाते हैं। ये आम तौर पर सामुदायिक दावतों और त्योहारों का हिस्सा होता है। मुझे नहीं लगता कि इतने विविध समुदायों के साथ यहा बीफ परोसने पर किसी तरह का प्रतिबंध संभव है। इस फैसले को सख्ती से लागू कराने का कोई भी प्रयास संवेदनशील हो सकता है।’
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