तारिक खान
डेस्क: अगस्त 2021 में मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में हिंदू महिलाओं को परेशान करने के आरोप में भीड़ द्वारा पीटे और प्रताड़ित किए गए चूड़ी विक्रेता तस्लीम अली को सोमवार को एक जिला अदालत ने एक मामले में बरी कर दिया, जिसके लिए उन्होंने 107 दिन जेल में बिताए थे। बरी होने के बाद अली ने कहा, ‘मैं खुश भी हूं और दुखी भी- यह मेरे लिए एक कड़वा अनुभव रहा। मैं उन लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जो मेरे साथ खड़े रहे।
वीडियो में यह भी दिखाया गया था कि लोग अली को ‘हिंदू क्षेत्र’ में दोबारा पैर न रखने की चेतावनी दे रहे थे। घटना के बाद जब अली ने अपने हमलावरों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, तो पुलिस ने उस पर मामला दर्ज किया और 13 वर्षीय लड़की की शिकायत के आधार पर उन्हें 107 दिन जेल में बिताने पड़े। उस पर पॉक्सो अधिनियम और आईपीसी की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए। मारपीट के बाद अली ने बाणगंगा थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि भीड़ में शामिल लोगों ने कथित तौर पर उसका नाम पूछा और उनके जवाब देने के बाद उन्हें पीटना शुरू कर दिया। लोगों ने उनके लिए सांप्रदायिक शब्दों का इस्तेमाल किया और उससे 10,000 रुपये की नकदी, मोबाइल फोन, आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों के साथ ही करीब 25,000 रुपये के मूल्य की चूड़ियां छीन लीं।
इसकी एफआईआर के आधार पर चार लोगों को गिरफ्तार किया गया। लेकिन इसके तुरंत बाद अली पर मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को उपलब्ध कराए गए अदालती आदेश के अनुसार, यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मामलों की विशेष न्यायाधीश रश्मि वाल्टर ने 27 पन्नों के फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष तस्लीम अली के खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रहा। आदेश के अनुसार, अदालत ने कहा कि तस्लीम अली के खिलाफ उत्पीड़न, धमकी और जालसाजी का कोई आरोप साबित नहीं हुआ। यही नहीं अदालत में लड़की ने इस बात से इनकार किया है कि अली उसके पास चूड़ियां बेचने आया था और उसने खुद को हिंदू नाम गोलू पुत्र मोहन सिंह बताया था। आदेश में कहा गया है, ‘इस बात का भी कोई सबूत नहीं है कि आरोपी ने धोखाधड़ी के इरादे से आधार कार्ड में जालसाजी की और यह जानते हुए भी कि आधार कार्ड जाली है, उसने इसे असली के रूप में इस्तेमाल किया।’
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अब अली ने कहा कि वे शांति चाहते हैं और इस घटना को पीछे छोड़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उनके मन में इंदौर शहर के लिए नफरत नहीं है, जहां वे कॉलोनी-कॉलोनी घूमकर चूड़ियां बेचकर अपना गुजारा करते थे। उन्होंने कहा, ‘इंदौर के सभी निवासी मेरे भाई-बहन हैं।’ जेल में 107 दिन बिताने के बारे में उन्होंने कहा, ‘शुरू में बहुत संघर्ष करना पड़ा, मैं डरा हुआ था। फिर मुझे अकेले वाली जेल (एकांत कारावास) में डाला गया था। अकेलेपन से कोई परेशानी नहीं हुई, और जेलर और पुलिस मेरे साथ ठीक से पेश आए। मुझे परेशान नहीं किया गया। मुझे संविधान और न्यायपालिका पर भरोसा था।’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बरी होने के बाद अली ने कहा, ‘मैं खुश भी हूं और दुखी भी- यह मेरे लिए एक कड़वा अनुभव रहा। मैं उन लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जो मेरे साथ खड़े रहे, उनका भी जिन्होंने मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज की और मुझे पीटा। मुझे धर्म और मेरे नाम के आधार पर झूठे मामले में फंसाया गया।’ उन्होंने कहा, ‘मैं चिंतित था, लेकिन मुझे छह बच्चों का पेट पालना है। मेरे दादा और पिता यही करते थे। मैं यूपी से लेकर पंजाब और इंदौर तक की कॉलोनियों, मेलों और दूसरी जगहों पर जाता हूं। मैं इंदौर वापस आता रहूंगा।’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपने हमलावरों के खिलाफ मामला आगे बढ़ाएंगे, अली ने कहा, ‘उन्होंने मुझसे माफ़ी मांगी है। मैं आगे बढ़ना चाहता हूं। मेरे मन में किसी के खिलाफ़ कुछ नहीं है।’
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