मो0 कुमेल
डेस्क: खबरों को किस प्रकार से दबा दिया जाता है इसका एक जीता जागता उदाहरण मंदसौर में बुचडखाने के एक मामले में मध्य प्रदेश सरकार को जोर का झटका धीरे से हाई कोर्ट में लगा है। जब अदालत ने स्थानीय नगर निगम को साफ़ साफ़ कहा है कि शहर धार्मिक होने के आधार पर बुचडखाने के स्थापना की अनुमति न देना पूरी तरफ से अस्वीकार्य है।
अदालत ने कहा, ‘लिखित में जो कारण दिया गया है कि मंदसौर एक धार्मिक शहर है, इसलिए बूचड़खाने की स्थापना की अनुमति नहीं दी जा सकती, वह पूरी तरह से अस्वीकार्य है। यह मुद्दा विशिष्ट कानूनी प्रावधानों द्वारा विनियमित है और यहां तक कि राज्य सरकार द्वारा 09।12।2011 को जारी की गई अधिसूचना में भी केवल 100 मीटर के दायरे को पवित्र क्षेत्र घोषित किया गया है। केवल ऐसी अधिसूचना जारी करने के लिए पूरे शहर को पवित्र क्षेत्र नहीं माना जा सकता। इसलिए प्रतिवादी का रुख स्वीकार नहीं किया जा सकता।’
नगर निगम को एनओसी जारी करने का आदेश देते हुए अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974, वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 और अन्य लागू कानूनों, यदि कोई हो, के तहत सहमति लेने के बाद बूचड़खाना स्थापित करने की अनुमति दी जाएगी। अदालत ने कहा, ‘उक्त बूचड़खाने में जानवरों का वध करने की अनुमति होगी, लेकिन उपरोक्त अधिनियमों और अन्य लागू कानूनों के तहत सहमति के बिना नहीं।’
बताते चले कि नगर निगम ने इस आधार पर आवेदन खारिज कर दिया था कि मंदसौर एक पवित्र शहर है। निगम ने कहा, ‘बूचड़खाना बनाने के लिए उपयुक्त जगह की पहचान की प्रक्रिया चल रही है। मंदसौर धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण शहर है, इसलिए बूचड़खाने की अनुमति देने से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचेगी। चूंकि मामला संवेदनशील है, इसलिए मंदसौर के सिटी पुलिस अधीक्षक और मंदसौर के सिटी कोतवाली के प्रभारी अधिकारी ने भी अनुरोध किया है कि याचिकाकर्ता को ऐसी अनुमति न दी जाए।’
याचिकाकर्ता साबिर हुसैन ने मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगर परिषद, मंदसौर द्वारा 1 दिसंबर, 2021 को पारित आदेश को चुनौती दी, जिसमें मंदसौर शहर में भैंसों के वध और मांस के व्यापार के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) देने से इनकार कर दिया गया था। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि 2011 की राज्य सरकार की अधिसूचना में केवल 100 मीटर के दायरे को ही ‘पवित्र’ घोषित किया गया है, और इस प्रकार उस क्षेत्र से परे बूचड़खाने की अनुमति दी जा सकती है। अपना आवेदन खारिज होने के बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का रुख किया।
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