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संघ प्रमुख मोहन भागवत के प्रजनन वाले बयान पर छिड़ी सियासी बयानबाज़ी की जंग, बोले ओवैसी ‘बताये भागवत जी कब शादी कर रहे’, कांग्रेस संसद रेणुका चौधरी बोली ‘क्या हम खरगोश हैं जो हम प्रजनन करते रहेंगे?’

निलोफर बानो

डेस्क: संघ प्रमुख मोहन भागवत के द्वारा भारत में जनसँख्या वृद्धि में गिरावट के मद्देनज़र अपने में लोगो को तीन बच्चे पैदा करने की सलाह दिया था। उनके इस बयान पर अब विपक्ष के तरफ से तीखे बयान आ रहे है। एक तरफ कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने बेरोजगारी की ओर इशारा किया तो वही एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल किया कि क्या मोहन भागवत ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों के अकाउंट में 1500 रुपये देंगे।

बताते चले कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 1 दिसंबर को भारतीय समाज को ‘जीवित रखने के लिए तीन की प्रजनन दर’ का आह्वान किया था। इसके बाद विपक्ष ने इस मुद्दे पर एक बहस छेड़ दी। भागवत के बयान के बाद से कई भाजपा नेताओं ने उनका समर्थन करते हुए इस बात पर जोर दिया कि भागवत की टिप्पणी ‘राष्ट्रीय हित’ में थी। हालांकि, विपक्षी नेताओं ने इस दावे पर सवाल उठाए हैं। कई नेताओं ने उनकी टिप्पणी को राजनीतिक एजेंडा बताया है।

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (पहले ट्वीटर) पर एक पोस्ट कर लिखा, ‘पिछले 10 साल से हम सुनते आ रहे हैं कि मुल्क में मुसलमानों की आबादी बढ़ रही है, इसको कम करना चाहिए। मगर अब मोहन भागवत खुद ज्यादा बच्चे पैदा करने की बात कर रहे हैं। बताइए मोहन भागवत आप कब शादी कर रहे हैं? मैं मोहन भागवत से पूछना चाहता हूं कि वो अधिक बच्चे पैदा करने वालों को क्या इनाम देंगे? क्या वो अधिक बच्चे पैदा करने वालों के बैंक खातों में 1500 रुपये देंगे? क्या वो इसके लिए कोई योजना लाएंगे?’

कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने बेरोजगारी की ओर इशारा करते हुए कहा कि कोई भी अपनी बेटियों की शादी बेरोजगार पुरुषों से करने को तैयार नहीं है। उन्होंने ये भी पूछा, ‘क्या हम खरगोश हैं जो हम प्रजनन करते रहेंगे?’ एनडीटीवी से बात करते हुए राज्यसभा सदस्य ने रेणुका ने बेरोज़गारी का मुद्दा उठाते हुवे कहा कि पुरुष बेरोज़गारी के कारण शादी नही कर सकते। जबकि वह कह रहे है अधिक बच्चे पैदा करो।

रेणुका चौधरी ने कहा कि ‘देश में बेरोजगार पुरुष शादी नहीं कर सकते, क्योंकि कोई भी अपनी बेटी की शादी बेरोजगार आदमी से तय करने को तैयार नहीं है। उनके पास नौकरी नहीं है। वो अपने जीवनसाथी की देखभाल कैसे करेंगे? पैसे ही नहीं हैं। बुजुर्ग माता-पिता काम कर रहे हैं और अपने बच्चों की देखभाल कर रहे हैं। और वो कह रहे हैं कि अधिक बच्चे पैदा करो। क्या हम खरगोश हैं जो हम प्रजनन करते रहेंगे? जो लोग बात कर रहे हैं, वो कितने बच्चे पाल सकते हैं? उनका अनुभव क्या है? हम जानते हैं।’

वहीं कांग्रेस के लोकसभा सांसद तारिक अनवर ने कहा,‘भागवत जो कह रहे हैं वो विरोधाभासी है, क्योंकि भाजपा नेता कह रहे हैं कि जनसंख्या को नियंत्रित किया जाना चाहिए। उन्हें इन विरोधाभासों को दूर करना चाहिए और सरकार को जनसंख्या पर नीति बनानी चाहिए।’ आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के सांसद चंद्रशेखर ने कहा कि ऐसे बयान राजनीतिक एजेंडे के तहत दिए जाते हैं और लोगों को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। उन्होेंने आगे बताया कि अगर हम मैन्युफैक्चरिंग शुरू करते हैं, तो लोगों को रोजगार मिलेगा। लेकिन सरकार इसमें विफल रही है।

बताते चलें, भारत में आदर्श प्रजनन दर 2.1 है। जिसका मतलब है कि एक महिला अपने जीवन में औसतन 2.1 बच्चे यानी 2 से 3 बच्चे पैदा करे। ये आंकड़ा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने निर्धारित किया है। जिसका मतलब होता है कि इस दर पर जनसंख्या स्थिर रहेगी। बताया जाता है कि भारत में लगातार बढ़ती जनसंख्या चिंता का विषय बनी हुई है।

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