माही अंसारी
वाराणसी: एशियन ब्रिज इंडिया द्वारा आज काशीराम आवास में बाबा साहब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर एक विशेष युवा संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसने भारतीय समाज में समानता और न्याय के मूल्यों को पुनः स्थापित करने का महत्वपूर्ण प्रयास किया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं में डॉ0 अम्बेडकर के विचारों और संवैधानिक मूल्यों को पुनर्जीवित करना था, ताकि वे समाज में परिवर्तन के वाहक बन सकें।
कार्यक्रम में जिन महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चा हुई उनमे सामाजिक समानता के सम्बन्ध में मूसा आज़मी ने जाति व्यवस्था और सामाजिक असमानताओं के विरुद्ध संघर्ष पर प्रकाश डाला। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे अम्बेडकर के सामाजिक लोकतंत्र के विचार को अपने जीवन में उतारें। साथ ही शिक्षा का महत्व: आशा बहु जमीला बेगम ने शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का प्रमुख माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि अम्बेडकर की तरह हमें शिक्षा को समानता और न्याय का सबसे शक्तिशाली हथियार मानना चाहिए।
कार्यक्रम में मोनी देवी और सुमन चोपड़ा ने महिला अधिकारों पर अम्बेडकर के विचारों को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि कैसे अम्बेडकर ने महिलाओं को समान अधिकार दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दिव्यांग सशक्तिकरण: दिव्यांगजन लीडर जाहिर खान ने अम्बेडकर के समावेशी विचारों पर प्रकाश डाला और दिव्यांगों के अधिकारों पर चर्चा की। संवैधानिक मूल्य: धर्मेंद्र ने भारतीय संविधान में निहित समानता और न्याय के मूल्यों पर विस्तार से बात की।
कार्यक्रम में लगभग 150 युवाओं ने सक्रिय भागीदारी की, जिन्होंने अम्बेडकर के विचारों पर अपने विचार साझा किए और उनके आदर्शों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम संचालन राम प्रकाश द्वारा किया गया। दीक्षा, वंदना, अफसाना, चंदन और पंकज ने कार्यक्रम की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया। एशियन ब्रिज इंडिया के अध्यक्ष मोहम्मद मूसा आज़मी ने समापन भाषण में कहा, “बाबा साहब के विचार केवल इतिहास में नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य में भी मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं। उनका संघर्ष और दृढ़ संकल्प आज भी हमें सामाजिक न्याय और समानता के लिए प्रेरित करता है।”
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