Bihar

बिहार: बालिका गृह काण्ड में आजीवन कारावास झेल रहे बृजेश ठाकुर को स्वाधार गृह काण्ड में मिली अदालत से राहत. सबूतों के अभाव में किया गया बृजेश ठाकुर सहित तीन को बरी

अनिल कुमार

डेस्क: बिहार के चर्चित मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह कांड में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे ब्रजेश ठाकुर को स्वाधार गृह कांड में बरी कर दिया गया है। ब्रजेश ठाकुर के साथ साथ इस कांड में मधु और कृष्णा को भी रिहा कर दिया गया है। एससी/एसटी कोर्ट के न्यायधीश अजय कुमार मॉल की अदालत में इस केस का फैसला आया है।

एससी/एसटी कोर्ट के विशेष लोक अभियोजक जयमंगल प्रसाद ने बताया, ‘न्यायाधीश अजय कुमार मल्ल की कोर्ट ने इस मामले में तीनों अभियुक्तों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है।’ उनका कहना था, इस मामले में पुलिसिया अनुसंधान में बहुत ढिलाई बरती गई। इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ उच्च न्यायालय जा सकते हैं लेकिन अगर पुलिस अनुसंधान ही ढीला रहा, तो कोई फ़ायदा नहीं होगा।’

बताते चले कि ब्रजेश ठाकुर की संस्था सेवा संकल्प एवं विकास समिति, मुज़फ़्फ़रपुर में कई होम्स चलाती थी। उनमें से एक स्वाधार गृह भी था। मई 2018 में ब्रजेश ठाकुर का नाम ख़बरों में आया था, जब उनकी ओर से संचालित बालिका गृह को लेकर कई गंभीर आरोप लगे थे। मुज़फ़्फ़रपुर के साहू रोड स्थित इस बालिका गृह में बच्चियों के साथ यौन शोषण का मामला सामने आया था। बालिका गृह कांड सामने आने के बाद ब्रजेश ठाकुर की संस्था की ओर से संचालित स्वाधार गृह की भी जाँच की गई।

प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) की वेबसाइट के मुताबिक़, ‘स्वाधार गृह योजना पारिवारिक कलह, हिंसा, सामाजिक बहिष्कार के कारण बेघर हुए महिलाओं और लड़कियों के पुनर्वास के लिए संस्थागत सहायता प्रदान करती है।’ मुज़फ़्फ़रपुर में ब्रजेश ठाकुर के स्वाधार गृह की जाँच में पाया गया था कि 11 महिलाएँ और उनके चार बच्चे ग़ायब हैं।

उस वक़्त महिला थाने में एफ़आईआर हुई थी। मई 2018 यानी बालिका गृह कांड से पहले स्वाधार गृह का निरीक्षण किया गया था, जिनमें 11 महिलाएँ और उनके चार बच्चे रह रहे थे। लेकिन बालिका गृह कांड सामने आने के बाद जून 2018 में जब दोबारा जाँच की गई, तो स्वाधार गृह में ताला बंद मिला। ब्रजेश ठाकुर, शाइस्ता परवीन उर्फ़ मधु, कृष्णा राम, रामानुज ठाकुर पर महिलाओं और बच्चों को लापता कर देने और उनको सुविधाएं मुहैया कराने के नाम पर सरकारी फ़ंड के गबन का आरोप था।

ये सभी महिलाएं और बच्चे अनुसूचित जाति/जनजाति से ताल्लुक रखते थे। विशेष लोक अभियोजक जयमंगल प्रसाद ने मीडिया को बताया कि ‘इस मामले में पुलिस कोई सबूत नहीं इकठ्ठा कर पाई। पुलिस किसी भी महिला या बच्चे की रिकवरी नहीं कर पाई, वहीं दूसरी तरफ़ गबन के आरोपों को साबित करने के लिए बैंक पासबुक, निकासी को कोई सबूत नहीं जुटा पाई। अभियोजन पक्ष ने कई बार इस संबंध में प्रशासन से पत्राचार किया लेकिन गंभीर अनुसंधान नहीं हुआ।’

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