मो0 कुमेल
डेस्क: भारतीय रुपया 13 जनवरी को अभी तक के सबस निचले स्तर 86.70 के नए रिकॉर्ड के निचले स्तर पर बंद हुआ। दो साल में ऐसा पहली बार हुआ है। जानकारों का मानना है कि इसके पीछे की वजह विदेशी निवेशकों की बिकवाली और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से शेयर बाज़ार में पड़ने वाला असर है। शेयर मार्केट की तरह इंडियन करेंसी रुपया भी लगभग रोज़ाना ही गिर रहा है।
विदेशी इन्वेस्टर लगातार अपना पैसा दुनियाभर के बाज़ारों से निकाल रहे हैं। वे अपने पैसों को अमेरिका में इन्वेस्ट कर रहे हैं क्योंकि डॉलर लगातार मज़बूत हो रहा है। इससे उन्हें बेहतर रिटर्न मिलेगा। विदेशी इन्वेस्टर भारत के बाज़ार में भी इन्वेस्ट करते हैं। अब वे अपना पैसा निकाल रहे हैं और अमेरिका की मार्केट में डाल रहे हैं। यही मुख्य कारण है जिसकी वजह से रुपये की कीमत लगातार गिर रही है। इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने को भी इसकी वजह माना जा रहा है। चूंकि भारत काफी मात्रा में कच्चे तेल का आयात करता है और उसकी पेमेंट डॉलर में होती है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने पर भारत को ज्यादा डॉलर खर्च करना पड़ते हैं।
क्या पड़ेगा आम नागरिको पर असर
- महंगाई जाती है बढ़ः जब रुपये की वैल्यू गिरती है तो आयात की जाने वाली चीज़ें जैसे कच्चा तेल, गैस महंगी हो जाती हैं। भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिए बड़ी मात्रा में तेल आयात करता है। रुपये की गिरावट से पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ जाती हैं जो ट्रांसपोर्ट और दूसरी सर्विस की लागत को भी बढ़ा देती है। खाने-पीने की चीज़ें और रोजमर्रा की चीजें महंगी हो जाती हैं। इससे आम आदमी का बजट बिगड़ता है।
- फॉरेन एजुकेशन और ट्रैवल महंगाः जो लोग विदेश में पढ़ाई कर रहे होते हैं या विदेश यात्रा करना चाहते हैं, उन्हें ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ते हैं। मान लीजिए, आपका बच्चा विदेश में पढ़ाई कर रहा है और आप भारत से पैसे भेजते हैं तो नुकसान होगा। दरअसल, ऐसे में डॉलर में कन्वर्ट होने पर कम रकम मिलती है। अब आपको पहले से ज्यादा रुपये भेजने होंगे। दूसरी ओर, अगर विदेश से कोई पैसे भेजता है तो फायदा होगा। डॉलर की मजबूती के कारण वही पुरानी रकम अब ज्यादा रुपये में बदल जाएगी।
- लोन महंगाः रुपये की गिरावट से रिजर्व बैंक को ब्याज़ दरें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। इससे होम लोन, पर्सनल लोन, और कार लोन जैसी चीजें महंगी हो जाती हैं।
- बिजली और गैस बिलों में बढ़ोतरीः भारत में ऊर्जा का बड़ा हिस्सा आयात किया जाता है। रुपये की कमजोरी से बिजली बनाने की कॉस्ट बढ़ जाती है। इसकी वजह से आम लोगों का गैस और बिजली का बिल बढ़ सकता है।