राइज एंड एक्ट के तहत “राष्ट्रीय एकता शांति व न्याय” विषयक तीन दिवसीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण शिविर का हुआ शुभारंभ
शाहीन बनारसी
वाराणसी। नवसाधना, तरना में राइज एंड एक्ट के तहत “राष्ट्रीय एकता शांति व न्याय” विषयक तीन दिवसीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ हुआ। जिसमें समता मूलक विचार, लोकतंत्र, वर्तमान परिस्थितियों, मीडिया व पूंजीवाद की भूमिका पर चर्चा की गई। मुख्य वक्ता प्रेमप्रकाश ने लोकतंत्र पर मंडरा रहे खतरे के प्रति आगाह करते हुए कहा कि समाज मे लोगों के बीच ज्यादा काम करने की जरूरत है। लोक शाही सबसे अच्छी व्यवस्था है। हमारे मनीषियों ने जो सपने देखे थे, आज कुछ साम्प्रदायिक ताकतें उन पर प्रश्नचिन्ह लगा रही हैं।
उन्होंने कहा कि यह देश एक बाग की तरह है और नफरत, भेद की राजनीति विनाश का कारण बनेगा। हम मतदाता हैं, अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी तभी संवैधानिक मूल्यों की रक्षा होगी। समता मूलक समाज की स्थापना से ही गांधी का सपना साकार होगा। उन्होनें मीडिया पर कहा कि मीडिया को पारदर्शी भूमिका निभानी चाहिए क्योंकि आप लोकतंत्र के चौथे स्तंभ माने जाते हैं और जनता के हितों के लिए बने हैं।
फादर फ्रांसिस डिसूजा ने कहा कि दूसरों को दबा कर जीतना मनुष्य की इच्छा नहीं होनी चाहिए। प्रेम, सम्मान व भाईचारे की भावना का प्रसार सबके दिलों में होना चाहिए।
सामाजिक कार्यकर्ता लाल प्रकाश राही ने नई आर्थिक नीति पर चर्चा करते हुए कहा कि उत्पादन व उसके संसाधनों पर जिनका कब्जा होता है, लाभ उन्ही को जाता है और बाजार में उत्पादों के मनमाने मूल्य उपभोक्ताओं से वसूले जाते हैं, जो खुली लूट है। सार्वजनिक संसाधनों के निजीकरण से जनता त्रस्त रहती है। पूंजीवादी व मिश्रित अर्थ व्यवस्था के बजाय समाजवादी अर्थ व्यवस्था कारगर है जिसमें सबकी सुविधा का ख्याल होता है।
सुरेश कुमार अकेला ने कहा कि अंग्रेजों ने देश में फूट डालो और राज करो कि नीति अपनाई। आज मुल्क पर साम्प्रदायिक ताकतों का कब्जा बढ़ता जा रहा है। सांप्रदायिकता, जातिवाद व नफरत की राजनीति से अवसर वादियों को फायदा होगा।
इससे पूर्व संचालन कर रहे आयोजक प्रो0 मोहम्मद आरिफ ने कई जनपदों से आये ट्रेनरों का परिचय कराते हुए कहा कि देश के बदल रहे हालात में सच्चे नागरिकों की भूमिका अहम हो गयी है। हमें सुखी, समृद्ध भारत निर्माण के लिए आगे आना होगा और अपना योगदान देना होगा तभी एक बेहतर समाज का निर्माण होगा।
सभी ने अपने चुने हुए मुद्दे पर लिखे लेखों पर प्रकाश डाला। प्रशिक्षुओं के प्रश्नों के उत्तर वक्ताओं ने सहजता से दिए। इस दौरान संजय सिंह, राम जनम, राम किशोर चौहान, साधना यादव, असलम, वीना गौतम, अर्सिया खान, प्रज्ञा, रीता सिंह, शमा परवीन, अब्दुल मजीद, राम कृत आदि मौजूद रहे।