राष्ट्रपति रूहानी ने इराक़ी जनता और आयतुल्लाह सीस्तानी को दी मूसिल की आज़ादी की बधाई
समीर मिश्रा
ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने आतंकवादी गुट दाइश के क़ब्ज़े से मूसिल की आज़ादी की इराक़ी जनता और सरकार को बधाई दी है। शुक्रवार
को वरिष्ठ धर्मगुरू आयतुल्लाह सीस्तानी, इराक़ी राष्ट्रपति फ़्वाद मासूम
और इराक़ी प्रधान मंत्री के नाम अपने संदेश में राष्ट्रपति रूहानी ने इराक़
के दूसरे सबसे बड़े शहर मूसिल की आज़ादी के लिए उन्हें और इराक़ी राष्ट्र
को बधाई दी।
को वरिष्ठ धर्मगुरू आयतुल्लाह सीस्तानी, इराक़ी राष्ट्रपति फ़्वाद मासूम
और इराक़ी प्रधान मंत्री के नाम अपने संदेश में राष्ट्रपति रूहानी ने इराक़
के दूसरे सबसे बड़े शहर मूसिल की आज़ादी के लिए उन्हें और इराक़ी राष्ट्र
को बधाई दी।
राष्ट्रपति
रूहानी ने अपने बधाई संदेश में उल्लेख किया कि यह सफलता इराक़ी जनता, सेना
और स्वयं सेवी बलों के संयुक्त प्रयासों एवं सहयोग के नतीजे में हासिल हुई
है। उन्होंने कहा कि इस
बड़ी जीत से यह साबित हो गया कि इस्लाम के नाम पर क्रूर एवं भयानक अपराध
करने वालों के ख़िलाफ़ लड़ाई जीती जा सकती है। राष्ट्रपति
रूहानी ने आयतुल्लाह सीस्तानी के नाम अपने बधाई संदेश में कहा है कि
इराक़ी जनता की जीत और मूसिल की आज़ादी ने एक बार फिर धार्मिक नेतृत्व और
उसके फ़तवे का महत्व दुनिया के सामने उजागर कर दिया है।
रूहानी ने अपने बधाई संदेश में उल्लेख किया कि यह सफलता इराक़ी जनता, सेना
और स्वयं सेवी बलों के संयुक्त प्रयासों एवं सहयोग के नतीजे में हासिल हुई
है। उन्होंने कहा कि इस
बड़ी जीत से यह साबित हो गया कि इस्लाम के नाम पर क्रूर एवं भयानक अपराध
करने वालों के ख़िलाफ़ लड़ाई जीती जा सकती है। राष्ट्रपति
रूहानी ने आयतुल्लाह सीस्तानी के नाम अपने बधाई संदेश में कहा है कि
इराक़ी जनता की जीत और मूसिल की आज़ादी ने एक बार फिर धार्मिक नेतृत्व और
उसके फ़तवे का महत्व दुनिया के सामने उजागर कर दिया है।
उन्होंने
कहा कि तीन साल पहले जब दाइश के आतंकवादी एक के बाद दूसरे इलाक़े पर
क़ब्ज़ा कर रहे थे और चारो ओर अराजकता एवं हिंसा का माहौल था, आयतुल्लाह
सीस्तानी ने तकफ़ीरी आतंकवाद के जेहाद का फ़तवा देकर, इराक़ी समाज में आशा
जगा दी।
कहा कि तीन साल पहले जब दाइश के आतंकवादी एक के बाद दूसरे इलाक़े पर
क़ब्ज़ा कर रहे थे और चारो ओर अराजकता एवं हिंसा का माहौल था, आयतुल्लाह
सीस्तानी ने तकफ़ीरी आतंकवाद के जेहाद का फ़तवा देकर, इराक़ी समाज में आशा
जगा दी।