ताकि कायम रहे गंगा जमुनी तहजीब: पार्षद अजीत सिंह ने दिया था कल “धरहरा” मस्जिद में इफ्तार की दावत, आज होगा राजमंदिर के कदीमी मस्जिद में इफ्तार, क्या खुबसूरत समा था जब पाण्डेय जी अपने हाथो से महफूज़ मियां को करवा रहे थे इफ्तार  

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: नफरतो की हो रही फसलो के बीच मुहब्बत अपना रास्ता खुद ही बना लेती है। जहा गंगा जमुनी तहजीब के मरकज़ शहर बनारस में भी कडवाहट बढाने के लिए कुछ लोग चक्कर में है, वही दूसरी तरफ अमन-ओ-आमान का शहर बनारस मुहब्बत अपने दिल में सजाये बैठा है। गंगा जमुनी तहजीब के तहत तानी बाने का रिश्ता रखने वाले इस शहर में अमन के परचम भी लहराने वाले हाथो की कोई कमी नही है। इसी क्रम में कल पार्षद अजीत सिंह ने धरहरा मस्जिद में रोज़े इफ्तार का आयोजन किया था। इसी कड़ी में राजमंदिर स्थित कदीमी मस्जिद में आज रोज़े इफ्तार का आयोजन किया गया है। पार्षद अजीत सिंह ने कहा कि “यह कार्यक्रम बिगड़ते सामाजिक रिश्तो के बीच मेलजोल और मोहब्बत का संदेश देगा।“

इस कड़ी में कल मुकद्दस रमजान के आखरी जुमे जुमा-तुल-विदा के दिन शहर में गंगा के पावन तट पंचगंगा घाट पर स्थित ऐतिहासिक शाही आलमगीर मस्जिद (धरहरा) में पार्षद अजीत सिंह की सदारत में आयोजित रोजा इफ्तार की दावत में कौमी एकता की बेमिसाल नजीर देखने को मिली। माहे रमजान के 27वे रोजे को आयोजित इस इफ्तार में बड़ी तादात में रोजेदारों ने ल़जीज इफ्तारी से रोजा खोला। इस इफ्तार पार्टी की खास बात यह रही कि चारो तरफ से हिंदू धार्मिक स्थलों से घिरे इस मस़्िजद में इलाके के तमाम हिंदू भाईयों ने रोजेदारों की दिल से खिदमत किया। मस्तक पर केशरिया चंदन लगाये नौजवानों की रोजेदारों के प्रति सेवा भावना ने एक बार पुन: गंगा-जमुनी तहजीब को बल प्रदान किया। साबित कर दिया कि हम बनारसी है। हम मुहब्बत के परचम को लहराने वाले है।

इफ्तार के आयोजक इलाके के पार्षद अजीत सिंह ने इस मौके पर बताया कि संविधान में हर एक नागरिक को धर्म व उपासना की स्वतंत्रता प्रदान की गई है। गंगा-जमुनी तहज़ीब एक सगुण अवधारणा है, और वह हमारे आचरण से प्रदर्शित होनी चाहिए। वाराणसी विश्व पटल पर अपनी गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता है। यहां कि गंगा-जमुनी तहजीब का बखान दुनिया भर के विभिन्न सम्प्रदाय के लोगों के बीच होना ही हमारे लिए गर्व की बात है। यहां के मंदिरों के घंटा-घड़ियाल की धुन और मस्जिदों की अजान की सदाओं का अनोखा संगम हिंदू-मुस्लिम एकता की बेमिसाल नजीर प्रस्तुत करता है जो दुनिया में कही नही देखने को मिलती है।

अजीत सिंह ने बताया कि जिस गंगा-जमुनी संस्कृति और सभ्यता की दुहाई दुनिया भर में दी जाती है, दरअसल उस संस्कृति और सभ्यता का उद्गम स्थल यहीं गंगा मईया का पावन तट है, जहां पांच नदियों गंगा, जमुना, सरस्वती, किरणा एवं धूपपापा का संगम स्थल है। इन्ही पांच नदियों के संगम के कारण ही इस स्थान का नाम पंचगंगा पड़ा। इस मस्जिद के चारो तरफ पांच ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है, जिनमें मुख्य रूप से बाबा तैलंग स्वामी का मठ, बिंदू माधव का प्राचीन मंदिर, जगद्गुरु रामानंदाचार्य के शिष्य स्वामी रामनरेशाचार्य का पवित्र स्थान ‘श्रीमठ’, माता मंगलागौरी का प्राचीन मंदिर तथा श्री गोकर्ण मठ है। गंगा की पवित्र धारा के तट पर यह ऐतिहासिक मस्जिद हमारी गंगा जमुनी तहजीब का उद्गम स्थल है।

इफ्तार के इस पाक मौके पर समाज के विभिन्न वर्गों एवं समुदायों के लोगों ने एक साथ रोजा खोलकर कौमी एकता का बेहतरीन संदेश दिया। इस इफ्तार पार्टी में तमाम इज्जतदार व मानिंद लोगों ने शिरकत की जिसमें मुख्य रूप से मौलाना मोहम्मद अहमद साहब, सादिक अली मुतवल्ली, समद अंसारी (पूर्व विधायक), बाबू लाल भाई, मनीष गुप्ता, गोपाल पाण्डेय, मुकेश सिंह, विनोद जायसवाल, सरोज शर्मा, तुफैल अंसारी, मनीष पाल, चंदन तिवारी, अमीनुद्दीन, आशीष यादव, महपूâज हुसैन, राजेश यादव (बाबू), आकिब खान, डॉ0 संजय सोनकर, रोहित यादव, मुन्ना दूबे, मनीष पाल, राशिद अली, मुन्ना, किर्तन चौधरी, सुखलाल, शम्भूनाथ, राजू यादव, चंदन तिवारी इत्यादि लोग मौजुद रहे।

वही इसी क्रम में आज शनिवार को पार्षद अजीत सिंह द्वारा राजमन्दिर की कदीमी मस्जिद में इफ्तार का आयोजन किया गया है। अजीत सिंह ने हमसे बात करते हुवे कहा कि हम बनारस के गंगा जमुनी तहजीब में किसी को ज़हर नही घोलने देंगे। वो नफरतो को फैलाना चाहते है तो फैलाए, हम इतनी मुहब्बत भर देंगे कि नफरतो के लिए कही रत्ती भर भी मकाम न बचेगा।

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