जय हो नगर निगम वाराणसी: साहब बाहुबली दुर्दांत अपराधी द्वारा चाह्मामा का सार्वजनिक कुआ बंद कर कब्ज़ा किया जा रहा है, कुआ साफ़ करवा दे ताकि लोगो को शीतल जल मिल सके
तारिक़ आज़मी
वाराणसी। नगर निगम अपने कर्तव्यों के लिए खुद को सचेत दिखाता तो रहता है। मगर हकीकत में नगर निगम के लोग ही उसके मेहनत पर पानी फेरा करते है। एक तरफ जहा शहर में पीने की पानी की समस्या है। तो वही दूसरी तरफ दबंग यहाँ सार्वजनिक कुआ ही कब्ज़ा करने की नियत से कुआ पाट कर बंद कर दिए है। यही नही कुआ के चारो तरफ बने चबूतरे पर दूकान लगा कर अपने सामाँन रख कर कब्ज़े का क्रम भी जारी है।
हम बात कर रहे है दालमंडी प्राचीन कुआ चाह्मामा की। दो सम्प्रदायों के मुहब्बत का प्रतीक सी कुवे का शीतल और मीठा जल मशहूर रहा है। जहा ये पानी लोगो की प्यास बुझाता था, वही इसके पानी से मुस्लिम समुदाय वजू करके नमाज़ पढता तो हिन्दू समुदाय सुबह इसी के जल से स्नान करके दर्शन करता था। मगर इलाके के अपने समय के रहे एक कुख्यात सजायाफ्ता अपराधी के द्वारा अपना मकान बनवाने के दरमियान मकान से निकला मलवा इस कुवे में फेक्वा कर कुआ बंद करवा दिया गया। जिसके बाद अब इस दुर्दांत अपराधी के लडको द्वारा कुआ पर अपनी दूकान लगाकर कब्ज़े का प्रयास किया जा रहा है। मगर नगर निगम इस कुवे के खत्म होते अस्तित्व से खुद की आंखे मूंदे बैठा है।
चाह्मामा का कुआ आसपास जल आपूर्ति में बाधा होने के दरमियान लोगो को शीतल जल मुहैया करवाता था। कुआ सार्वजनिक था। यहाँ ये शब्द हम बार बार लिख रहे है कि चाह्मामा कुआ सार्वजनिक था, न कि जनता कुआ। मगर इलाके के एक दबंग, कुख्यात, सजायाफ्ता अपराधी के द्वारा अपने बाहुबल के बल पर खुद का मकान बनवाने के दरमियान इस कुआ में अपने घर बनवाने के दरमियान निकले मलवे को फेक कर पाट दिया था। इलाकाई लोगो के दिलो में दहशत होने के कारण इस सजायाफ्ता मुजरिम का कोई आज भी विरोध नही कर पा रहा है और कुआ के चबूतरे को अब इसके लडको द्वारा दूकान लगा कर अस्थाई रूप से कब्ज़ा कर लिया गया है।
अब देखना होगा कि नगर निगम वाराणसी जिसके दिमाग में न तो हसीन लूले जैसे अपराधियों के लिए दहशत होती है और न मुख़्तार अंसारी के लिए। जिसका बुलडोज़र मुख़्तार के साम्राज्य को ही खत्म करने के लिए बेताब रहता है की नज़र-ए-इनायत कब इस कुआ पर पड़ती है और इस सार्वजनिक कुआ को कब वह इस दबंग के चंगुल से मुक्त करवाती है।