ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण: जाने मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता अभय नाथ यादव के द्वारा क्या पेश किया जा रहा दलील, सुप्रीम कोर्ट की किस नजीर पर हो रही है इस समय जिरह, अगली तारीख 4 जुलाई हुई मुक़र्रर
शाहीन बनारसी/ईदुल अमीन
वाराणसी: वाराणसी जिला जज की अदालत में आज ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में मस्जिद पक्ष द्वारा दाखिल आदेश 7 के नियम 11 के तहत मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता अभय नाथ यादव के द्वारा ज़बरदस्त दलील पेश किया जा रहा है। अदालत परिसर में वादिनी मुकदमा के अधिवक्ता और उनके पक्षकार भी मौजूद है। भरी अदालत में ज़बरदस्त बहस चल रही है। बहस समाचार लिखे जाते समय ख़त्म हुई है। अदालत में सुनवाई की अगली तारीख 4 जुलाई मुक़र्रर किया है।
इस दरमियान मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने दलील पेश करते हुवे अदालत से कहा है कि आज आप ज्ञानवापी मस्जिद पर बहस कर रहे अहि। जबकि ये मामला 1991 के “प्लेसेस आफ वर्शिप एक्ट” से बंधा हुआ है। जो वाद ख़ारिज होने योग्य था उस वाद पर बहस चल रही है। अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने कहा कि 1991 में “प्लेसेस आफ वरशिप एक्ट” बना जिसके सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद के वाद में भी ज़िक्र करते हुवे इसकी अहमियत समझाया बताया था। इस एक्ट में साफ साफ़ ज़िक्र है कि 15 अगस्त 1947 में जिस पूजा स्थल की जो नवय्य्त थी, वह नवय्य्त नही बदल सकती है। फिर ये पूरा मामला ही उस कानून का उलंघन है। ये वाद चलने योग्य ही नही है।
इसके पूर्व वरिष्ठ अधिवक्ता अभय नाथ यादव की दलीलों और पेश की जा रही सुप्रीम कोर्ट की नजीरो पर कई बार ऐसा हुआ है कि जिला जज स्वयं मुस्कुराने लगे। अभय नाथ यादव के द्वारा तेज़ आवाज़ में दलील पेश किया जा रहा है। एक एक मुद्दे पर बारीकी से अदालत का ध्यान आकर्षित करवाया जा रहा है। अभी तक पेश हुई दलीलों में मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने कहा कि वादिनी मुकदमा का कहना है कि उक्त जगह मंदिर की थी। तो वादिनी पक्ष मंदिर की संपत्ति का कोई दस्तावेज़ नही प्रस्तुत कर पा रही है।
अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने कहा कि जिस संपत्ति को भगवान् की संपत्ति बताया जा रहा है वह संपत्ति भगवान की कैसे हुई ये बात वादिनी के अधिवक्ता नही बता पा रहे है। जैसे हम और आप ज़मीन खरीद सकते है और ज़मीन के मालिक हो सकते है वैसे ही ज़मीन के मालिक भगवान् भी हो सकते है बशर्ते ज़मीन भगवान् को कोई गिफ्ट करे। हमको कहते है कि हम गलत है। तो फिर ये बताये कि ये कहा सही है। चलिए हम गलत सही। मगर अगर इनके पास ऐसे दस्तावेज़ नही है कि ये सही है तो फिर ये भी गलत हुवे इस स्थिति में हम सही है।
अधिवक्ता अभय नाथ यादव के इस दलील पर जिला जज भी मुस्कुराने लगे और प्रस्तुत दस्तावेज़ का अवलोकन करने लगे। इस दरमियान वरिष्ठ अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने दलील पेश करते हुवे सवाल किया कि हमारे फव्वारे को ये लोग शिवलिंग कह रहे है। अगर वह असली शिवलिंग है तो फिर बताये कि 250 वर्षो से जिस जगह पूजा हो रही है वह क्या है ? इस पर अदालत परिसर में शोर शराबे की स्थिति पैदा हो गई जिस पर जिला जज ने हस्तक्षेप कर तुरंत स्थिति सामान्य करवाया है। जिला जज ने कहा कि अदालत की मर्यादा कायम रखना सभी पक्षों का काम है। मै सभी को अपना पक्ष रखने का मौका दूंगा।
इस शोर शराबे के बाद मस्जिद कमिटी के अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने सिविल जज के मुकदमा नम्बर 62/36 के आदेश की नजीर अदालत को पेश करते हुवे इस मुद्दे पर दलील समाचार लिखे जाने तक देना शुरू कर दिया है कि ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ की संपत्ति है। जिरह जारी है। विस्तृत समाचार के लिए जुड़े रहे हमारे साथ।