आइये और मुझको बताइये आप क्या चाहते है, मैं अपना इस्तीफा तैयार रखे हूँ, आप क्या चाहते है मैं पद छोडू ? मै कुर्सी पकड़ के बैठने वाला नही हूँ: उद्धव ठाकरे
संजय ठाकुर
डेस्क: महाराष्ट्र में चल रहे सियासी संकट के बीच अपनी पार्टी शिवसेना में तेज हुवे बगावती सुर के बाद आज उद्धव ठाकरे ने एक भावुक संदेश दिया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि वे अपना पद छोड़ने के लिए तैयार हैं। बुधवार को फेसबुक संबोधन में उन्होंने कहा, “मैं अपना इस्तीफा तैयार रख रहा हूं। आइए और मुझे बताइए कि क्या आप चाहते हैं कि मैं पद छोडूं। मैं कुर्सी पकड़ कर बैठने वालों में से नहीं हूं। “
ठाकरे ने कहा, “जब सरकार बनी थी तब भी पवार साहेब ने मुझे कहा था कि मैं चाहता हूं कि सरकार को तुम ही चलाओ। पवार ने भी मुझ पर भरोसा जताया है लेकिन अगर मेरे लोग ही मेरे पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं तो मैं क्या हूं। सूरत और कहीं और जाकर बात करने से अच्छा था कि वो मेरे पास आकर बात करते और मुझे कहते कि आप मुख्यमंत्री मत रहिए। तो मैं इसे ज्यादा बेहतर समझता। अगर एक भी विधायक कहता है कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री नहीं रहना चाहिए तो मैं आज के आज में इस्तीफा दे दूंगा। मैं कोई कुर्सी पकड़कर बैठने वाला आदमी नहीं हूं लेकिन ये कहना है कि यह हमारी शिवसेना नहीं है, ये गलत है।”
उद्धव ने जोर देकर कहा कि शिवसेना कभी भी हिंदुत्व को नहीं छोड़ेगी। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व हमारी पहचान है। मैं ऐसा पहला सीएम हूं तो हिंदुत्व पर बात करता हूं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र कोविड महामारी के प्रकोप से जूझ रहा था। सीएम के तौर पर मैं जिस तरह कोविड पर नियंत्रण कर पाया, वह आपके समर्थन से संभव हुआ।उन्होंने कहा, “मुझ पर लोगों/पार्टी जनों से नहीं मिलने के आरोप लगाए गए। जहां तक लोगों से न मिलने की बात है तो इसका कारण यह था कि मैं अस्वस्थ था और इस कारण लोगों से मिल नहीं पा रहा था। ऐसा नहीं है कि मेरे अस्वस्थ्य नहीं रहने के दौरान प्रशासनिक काम नही हो रहा था वह चल रहा था।”
उद्धव ने कहा, “लोग कहते हैं कि यह बाला साहेब की शिवसेना नहीं रही मैं पूछता हूं क्या फर्क है। यह अभी भी पहले वाली ही शिवसेना है।” उद्धव ने कहा, “2014 में जब हमने चुनाव लड़ा और 68 विधायक जब जीतकर आए थे तो भी बाला साहेब की ही शिवसेना थी। मैं खुद ढाई साल से मुख्यमंत्री हूं। अब सवाल है कि राज्य में फिलहाल क्या चल रहा है। शिवसेना के विधायक खुद पहले सूरत गए, फिर वहां से गुवाहाटी गए। कुछ जा रहे हैं कुछ आ रहे हैं। मैं इस पर बात नहीं करना चाहता हूं। विधान परिषद चुनाव से पहले भी हमें अपने विधायकों को अपने साथ रखना पड़ रहा है।
उद्धव ने कहा कि ये कौन सा लोकतंत्र है। हमे अपने लोगों के पीछे ही घूमना पड़ रहा है ये कहां से सही है। क्या आपकी कोई जवाहदेही नहीं है। मैंने शिवसेना प्रमुख को जो वचन दिया कि मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा मैं उसे पूरा करूंगा।” बीजेपी के साथ पार्टी का गठबंधन टूटने पर कहा कि हमें ढाई साल पहले अलग राह पकड़नी पड़ी, कांग्रेस और एनसीपी के साथ आना पड़ा। शरद पवार ने भी मुझ पर भरोसा किया लेकिन जब मेरे लोग ही मुझ पर भरोसा नहीं कर रहे तो मैं क्या करूं। मैं अब भी उन्हें अपना मानता हूं। इस दरमियान आज इस बीच, महाराष्ट्र सरकार पर मंडराते संकट के बीच एनसीपी सुप्रीमों ने उद्धव ठाकरे से मुलाकात की है। उनके साथ उनकी बेटी सुप्रिया सुले भी थीं।